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हाल ही में हमारी सरकार द्वारा हरी झण्डी मिलने के बाद बी.सी.सी.आई ने पाकिस्तान क्रिकेट टीम के दौरे को अपनी चिरप्रतीक्षित मंजूरी प्रदान कर के वहां के क्रिकेट बोर्ड को निहाल करके मालामाल करने की तैयारी शुरू कर दी है …. इस ऐलान रूपी फैसले के बेवक्त सामने आने से सभी देशवासियों को बहुत ही हैरानी हुई है क्योंकि इस तरह की किसी भी पहल की उम्मीद हमको सपने में भी नहीं थी ….. अब सरकार तो सरकार है और हम ठहरी जनता लाचार , इसलिए सिवाय सब कुछ अपनी आँखों के सामने होते हुए देखने के और कर भी क्या सकते है ….. यह तो शुक्र है जागरण जंक्शन ने कुछेक ब्लागरो को इस विषय पर लिखने का सुनहरा अवसर प्रदान कर दिया और हम भी बैठ गए अपने मन की भड़ास को निकालने के लिए …..
25 july के समाचारपत्र में अमेरिका की प्रतिकिर्या को पढ़ा की “हम क्रिकेट के बारे में कुछ ज्यादा तो नहीं जानते है लेकिन भारत और पाक के बीच क्रिकेट की कूटनीति का समर्थन करते है” ….. एक कहावत सुनी थी की चोर की दाड़ी में तिनका लेकिन यहाँ तो चोर (अमेरिका ) की दाड़ी में पूरे का पूरा शहतीर ही नजर आ रहा है ….. यह अलग बात है की कोई इसको माने या ना माने या फिर देख कर भी अनदेखा कर दे ……
हालाँकि अमेरिका खुद ही अतीत में ओलम्पिक खेलों का बहिष्कार कर चूका है लेकिन अपने दीर्घकालीन सामरिक हितों के तहत आज यह अंदरखाते भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट सम्बन्धों की बहाली का दबाव सफलतापूर्वक बना चूका है ….. विगत में भी जब कभी अमेरिका और रूस तथा दूसरे किसी भी देश ने ओलम्पिक खेलो का बहिष्कार चाहे किसी भी कारण से किया हो मैंने उसको उचित नहीं माना है …. क्योंकि एक खिलाड़ी का खेल जीवन आखिरकार होता ही कितना है ? , उस पर भी अगर उसके कैरियर का अधिकाँश हिस्सा कूटनीति और राजनीति की भेंट चढ़ जाए तो वोह सौने पर सुहागा वाली बात होगी ….. “खेलो में राजनीति” और “खेलो पर राजनीति” कभी भी होनी ही नहीं चाहिए…..
हमारी सरकारों ने जो काम नहीं करने चाहिए थे उनको तो वोह करती रही है लेकिन जो काम उनको करने चाहिए थे उनमें उन्होंने राजनीति घुसेड़ दी है ….. पाकिस्तान से हमारा हर तरह का व्यापार लगातार हो रहा है …. उसके साथ सदभावना एक्सप्रेस गाड़ी तथा रेलगाड़ी से आपसी सम्बन्धों को मजबूत किया जा रहा है ….. लेकिन पिछले कुछेक सालो से उसके साथ क्रिकेट सम्बन्ध हमको किसी भी कीमत पर गंवारा नहीं थे …. अगर पकिस्तान पर आर्थिक दबाव ही बनाना एक मात्र उद्देश्य है तो उसके साथ सभी प्रकार की व्यापारिक गतिविधियो को विराम दे देना चाहिए ….
चाहिए तो यह था की पाकिस्तान पर आर्थिक दबाव बनाने के लिए हम क्रिकेट की बजाय उसके साथ अपने सभी तरह के व्यापारिक सम्बन्ध खत्म करते ….. लेकिन हम तो इसी बात पर मरे जा रहे थे की पाकिस्तान ने हमको “मोस्ट फेवरेट नेशन” वाले व्यापारिक सांझीदार का दर्ज़ा क्यों नहीं दिया ? ….. हमारी सारी तवज्जों इसी बात पर थी और हम पकिस्तान से वोह खिताब किसी भी प्रकार से ले ले , भले ही हमको मुम्बई हमलों तथा संसद पर हुए हमलों में शामिल रहे मोस्ट वांटेड आंतकवादियो के बारे में पाकिस्तान ने ठेंगा दिखा दिया हो , लेकिन पकिस्तान से मोस्ट फेवरेट व्यापारिक नेशन का तमगा पाकर हमारा सिर पूरे विश्व में गर्व से ऊँचा तो हो ही गया है …..
विगत में कारगिल युद्ध के दौरान हमने पकिस्तान से आने वाली (कम मिठास वाली ) चीनी का अग्रिम भुगतान कर दिया था और यह हजारों सालों के विश्व इतिहास की राजनीति में पहला मौका था की दो युद्धरत देशो में व्यापारिक कारणों से कोई भुगतान हुआ हो ….. लेकिन हमने यह मिसाल कायम की भले ही उस रकम से पकिस्तान ने हथियार खरीद कर कारगिल युद्ध में हमारे हजारों वीर जवानों को मौत की नींद सुला दिया लेकिन पकिस्तान से हमारा व्यापारिक सम्बन्ध तो हर हाल में बना ही रहा …..
किसी भी देश की खेल गतिविधियों पर प्रतिबन्ध लगाने की बजाय उसके साथ हर तरह के व्यापारिक सम्बन्धों पर रोकथाम लगाई जानी चाहिए ….. क्योंकि खेलो पर प्रतिबंध लगाने से सरकार पर उस तरह का दबाव नहीं बन पाता है जैसी की हम अपेक्षा करते है , यह हमने पहले भी दक्षिण अफ्रीका की अश्वेत सरकार के समय में क्रिकेट पर प्रतिबन्ध लगा कर देख ही लिया है ….. खेलो पर प्रतिबन्ध लगाने से हम खेल जगत की प्रतिभाओं से वंचित हो जाते है ….. आज हम सभी जानते है की दक्षिण अफ़्रीकी खिलाड़ी कितने समर्थ और प्रतिभावान है …..क्रिकेट के खेल को दिए जा सकने वाले उनके न जाने कितने ही योगदानों को हमने व्यर्थ में ही गँवा दिया था ……
क्रिकेट के खेल को कुलीन भद्रजनों का खेल भी कहा जाता है क्योंकि पहले पहल इस महंगे खेल को सिर्फ राजे रजवाड़े ही खेला करते थे ….. लेकिन अब तो यह ( खासकर पाकिस्तान के मामले में ) सट्टेबाजों का खेल बन चूका है ….. पिछले विश्व कप में जब इनके कोच को इनकी असलियत मालूम हुई तो उनका काम तमाम कर / करवा दिया गया ….. पकिस्तान के बारे में एक चुटकुला प्रचलित है की वहां की समाचार उद्घोषिका क्रिकेट के बारे में कहती है की “अब आप कल होने वाले मैच के परिणाम के बारे में सुनिए” ….. यहाँ तक तो ठीक है लेकिन जब भारत और पकिस्तान के बीच के मैचों की बात आती है तो हमे यह देख कर हैरान हो जाना पड़ता है की पिछली कई सीरीजों के मैचों के नतीजे बराबरी पर छूटे है ….. ऐसा लगता है की जैसे यह दोनों तरफ की सरकारों की तरफ से फिक्स होते रहे हो ….. इस बार की होने वाली सीरीज का नतीजा भी अगर बराबरी पर छूटे तो इसमें हमे कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए ….. इससे दोनों तरफ की जनता को खासकर पकिस्तान की उग्र जनता को शांत और संतुष्ट करने में बहुत मदद मिलती है ….. और दोनों तरफ का मीडिया “ना तुम जीते ना हम हारे” नामक तराने गाता रहता है तथा खुद को और भोली भाली जनता को भी भ्रमित करता रहता है ……
अन्त में यही कहना चाहूँगा की सरहद पर पहरा दे रहे हमारे देशभक्त जवानों को सिर्फ तीन चीजें ही उतेजित और रोमांचित करती है – कैट और करीना सरीखी हीरोइने + प्रियजनों के भेजे हुए सन्देश और भारत पाक के बीच क्रिकेट मैच में भारत की जीत ….. भारत पाक के बीच मैच में जीतने पर उनको ऐसा महसूस होता है की जैसे उनकी तरफ से भारत के ग्यारह महायोद्धा जंग को जीत रहे है …..
तो आइए सभी मिल कर तैयार हो जाइये अंकल सैम (अमेरिका) की घुड़की पर चालू हुई , दोनों देशो की सरकारों द्वारा प्रयोजित इस बहुप्रतीक्षित होने वाली क्रिकेट की सीरीज के बराबरी पर छूटने वाले मैचों के महा तमाशे के मूक दर्शक (तमाशबीन) बनने के लिए और हमारे जाबांज सैनिकों को रोमांच की एक नई दुनिया में ले जाने के लिए …..
राजकमल शर्मा
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