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दोस्तों मेरे आज के इस लेख को लिखने का कारण बनी आदरणीय गुरुदेव शाही जी मेरे लेख के फीचर्ड होने पर बधाईयाँ देना ….. बात बेशक खुशी की की ही थी लेख के लिख कर पोस्ट करने के इतने दिनों बाद इस बधाई को पाकर कुछ अटपटा सा लगा ……
आज अगर मैं इस मंच पर आए हुए नए ब्लागर्स को यह बतलाऊ की एक समय ऐसा भी था की हम रात को नो –दस बजे अपना लेख पोस्ट करते थे और रात के बारह – एक बजे उसके फीचर्ड होने की खुशखबरी भी आ जाती थी , तो वोह इस ऐतहासिक बात पर विश्वाश नहीं करेंगे …..
हम सभी की रचनाए अब उस समय फीचर्ड की श्रेणी में आ पाती है जबकि उनको ज्यादातर पाठकों ने पहले ही पढ़ लिया होता है और वोह उस पर अपने कीमती उदगार भी व्यक्त कर चुके होते है ….. एक बासी चीज को आप समय बीत जाने पर फिर चाहे कितने भी दिन फीचर्ड रूपी सूली पर टांग कर रखो उससे लेखक को कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है ….. एक बासी रचना को मिलने वाला सन्मान एक ताजातरीन रचना को मिलने वाले सन्मान के मुकाबले कहीं भी नहीं ठहरता है ….. क्योंकि इससे लेखक को फायदा चाहे कुछ हो चाहे ना हो लेकिन नुक्सान तो हो ही चूका होता है …..
आप मेरी तो बात ही जाने दीजिए क्योंकि मेरा तो काम ही सभी की टांग खिचाई करना है ….. अगर मैं किसी की मजबूरीवश तारीफ करता भी हूँ तो अगली बार समेत सूद के वसूल कर लेता हूँ ….. पुलिस वालों की दोस्ती की तरह से मेरी तरफ से दी गई प्रशंसा भी बुरी और आलोचना भी बुरी ….. लेकिन वोह पाठक जोकि रचना को फीचर्ड होने के कारण अपनी नजरों में लेखक और उसकी रचना को कुछ विशिष्ट सन्मान देते है ….. ऐसे पाठकों से साधारण कमेन्ट मिलने के कारण लेखक \लेखिका का जो उत्साहवर्धन हो सकता था उससे तो वोह अभागे वंचित हो ही जाते है…..
मैं जागरण जंक्शन से यही अपील करता हूँ की वोह किसी भी रचना को फीचर्ड करने की अपने पहले वाली पॉलिसी पर अमल करते हुए ही हम सभी को मानसिक सकूँ पहुंचाए तो बहुत ही अच्छा होगा ….. वर्ना तो आज के हालात में दो दिनों के बाद फीचर्ड का सन्मान पाकर ना तो लेखक को कोई संतुष्टि मिलती है , ना ही उसको अपने पाठकों से वोह सन्मान मिलता है जिसका की वोह अधिकारी होता है , और ना ही उसके लिए तब उसका कोई इतना ज्यादा महत्व रह जाता है …..
चलते चलते :- एक बात और कहना जरूरी समझता हूँ की जिस तरह से आप शुक्रवार को रिलीज होने वाली नई फिल्मो के कारण हर सप्ताह बनने वाले एक नए सुपरस्टार की तर्ज पर अपना सप्ताह का ब्लागर /ब्लागरनी शुक्रवार को घोषित करते है उसका दिन बदल कर उसको शुक्रवार की बजाय सोमवार कर दिया जाए तो बहुत ही बेहतर होगा ….. क्योंकि फिल्मो को जहाँ पर शनिवार और इतवार को ज्यादा दर्शक मिलते है उसकी बजाय ब्लॉग जगत में यहाँ पर शुक्रवार और रविवार को नाममात्र ही पाठक गण यहाँ पर अपनी हाजिरी लगवाते है ….. इस बात का आपको भी इल्म है इसी के कारण आप शुक्रवार और शनिवार को फीचर्ड हुई रचनाओं को सोमवार तक फीचर्ड की श्रेणी में लटकाए रखते है …….
हमारा नया सप्ताह सोमवार से शुरू होने के कारण हम सोमवार को सभी कुछ नया देखना चाहते है यहाँ तक की बेस्ट ब्लागर आफ दा वीक भी , क्योंकि तब ऐसा लगता है की अरे ! इसको तो पिछले हफ्ते भी झेला था इसी सोच के कारण ईर्ष्यावश जलन कुछ ज्यादा ही असहनीय हो जाती है …..
राजकमलिया टिप्स:-
( “फीचर्ड रचना / बेस्ट ब्लागर आफ दा वीक का फंडा” )
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