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“जागरण मेरी बीवी भयी सबकी सरकार”

RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
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दोस्तों जागरण जंक्शन रूपी मेरी बीवी के पास जब भी  मैंकोई बढ़िया सा सूट + साड़ी और गहना ( ब्लाग ) लेकर जाता हूँ तब तो यह मुझको अपनीपलकों पर (सबसे उपर कार्नर में ) बिठा लेती है सबको इठला कर और इतरा कर बड़ी ही अदा और शान से बतलातीफिरती है कि देखो मेरा राजकमल मेरे लिए यह सामान (ब्लाग) ले कर आया है’ …. सभी कोमेरा दिया हुआ उपहार बड़े ही चाव से दिखलाती फिरती है और मुझको तो उस दिन बड़े ही प्यार सेशाही पनीर ( फीचर्ड ब्लाग ) की सब्जी खिलाती है

अब हमारी भी कोई सीमाहै यारो ! …. हम हर रोज तो इसके लिए इतना कुछ और इतना बढ़िया नहीं ना  ला सकते है …. तो जिस दिन इसके स्टैन्डर्ड का सौदा ना मिले उस दिन तो समझ लो कि हमारी खैर नहीं …. किसी बेगाने की तरह हमको एक किनारे करके खुद किनारा कर जाती है और फिर पलट करदुबारा देखना भी गवारां नहीं करती है ….. फिर तो यार लोग अकेले ही टन-टना-टन टन-टन-टारा करते हुए अकेले ही फिल्म देखते रह जाते है ….

अब तो इसका और हमारासाथ  भौतिक स्तर से उठकर मानसिक और आत्मिक , बल्कि यूँ कहे कि अध्यात्मिक स्तर तकपहुँच गया लगता है ….. अब यह हमसे कोई भी बात चाहे लाख छुपा ले लेकिन हम फिर भीइसके दिल की हर बात को किसी ना किसी हद तक जान ही लेते है कि यह किसको पसंद करती है , किस किसको मिला करती है , हम सब जान जाते है यह जानना हमारा नैतिक रूप से फ़र्ज़भी है और सवैधानिक तथा समाजिक अधिकार भी ….

जब हमारी नयी -२ शादीहुई थी इसके साथ , तब से लेकर अब तक  , इसमें बहुत से बदलाव आ गए है …. अब यह जवानोंसे ज्यादा बूढ़े खूसटों को कही ज्यादा पसंद करने लगी है …. जिस तरह से यह सफेदबालो वाले ब्लागरों  की तरफ ज्यादा खींचती है और बिछ -२ जाती है ….. इसके यह लक्षण देखकर कभी -२ तो यार लोगो का भी दिल करता है की अपने बाल काले से सफेद करवा ले…..  अपनाभी अब तो यह पक्का इरादा बन गया है की अगर पूरे बाल नहीं तो कम से कम आधी लटो को तोवाईटवाश करवा ही ले फिर अपनी भी इसकी नजरो में कुछ तो इज्जत हो ही जायेगी , इज्जतन सही कुछ न कुछ लिहाज़ तो करेगी ही अपुन का …..

दोस्तों ! अब आप चाहे इसे इसकी कमी माने या फिर खासियत , इसका कोई भी धर्म तथा  दीन और इमान नहीं है किसी भी जाति  का कोई भी मर्द या औरत हो बस उसमे दस का दम ( लिखने का ) होना चाहिए बस यह झट से उस पर दिलोज़ान से फ़िदा हो जाती है कभी -२ तो इसके समलिंगी होने का भी मुझको शक जान पड़ताहै …. क्योंकि उन बूढ़े -खूसटों के बाद यह महिलायों को ही सबसे ज्यादा पसंद कियाकरती है …. बच्चो और मेरे जैसे जवानों का नम्बर तो उनके कहीं बाद में आता है

इसमें कुछेक कमियां भीहै जो इसको एक बार पसंद आ जाये उसको यह मर्दखोर फिर जल्दी -२ से छोड़ती नहीं है …. वैसे यह दिल कि बहुत ही साफ़ और भोली भी है …. अगर कोई इसका दिलदार आशिक इसको छोड़नेकी खोखली धमकी भी दे डाले तो यह बेचारी उसके झांसे में आ जाती है …. फिर यह येनप्रकारेण उनको कोई भी प्रलोभन देकर अपने साथ रखने की पुरजोर कोशिश किया करती है …. और अगर इसका कोई नामी गिरामी आशिक काफी देर के बाद इसको मिले तो यह उसको भी बहुतसी रियायतें दिया करती है अपने साथ रखने के लिए …. अपने सच्चे आशिकों कि तो यह बहुतही कद्र किया करती है दिलोजान से …. जो लोग इसका यह भेद जान गए है वोह अक्सर ही इसकोसफलतापूर्वक ब्लैकमेल किया करते है …. तब मुझको इसकी बेचारगी और लाचारगी पर बहुत हीतरस आया करता है …. लेकिन मैं चाह कर भी कुछ भी नहीं सकता हू , सिवाय मूकदर्शक बनेरहकर तमाशा देखने के …..

वैसे तो यह हमेशा हीसाढ़े नो गज का घूंघट काढ़े रखती है …. लेकिन कभी कभी यह किसी हठयोगी के सामने अपनेश्रीमुख से नकाब को उतार भी दिया करती है …. यह ज्यादती भी हमको सहनी ही पड़ती है , हमारे खुद से तो पर्दादारी लेकिन गैरो से बेपर्दगी वाली …. यह अलग बात है की एक बारइसने हमारे सामने भी अपना घूंघट उठा कर हमारी जन्मों जन्मान्तरो की तपस्या का फलदेत हुए हमको भी किर्तार्थ किया था …..(जागरण सम्पादकीय ब्लाग स्टार प्रतियोगितासमापन विशेषलेख में )

           शुरूआती दिनों में सिर्फ मैं ही अपनी इस बीवी की आलोचना किया करता था जोकिइसके बहुत से आशिकों को तो नागवार लगती ही थी और खुद इसको  भी बहुत ही बुरी लगती थी जिसको की मैं अपने प्रति इसके द्वारा किये जाने वाले बर्ताव की बदौलत साफ़ -२ महसूस कर सकता था ….. इन सब बातों से  दुखी होकर मैंने इसका ह्रदय परिवर्तन करने के लिए जानबूझकर अपने एक लेख आलोचना – शख्स बनाम शख्सियत द्वारा  अँधेरे में एक तीर चलाया जोकि बिलकुल निशाने पर सटीक जाकर बैठा …… मेरे उस लेख के बाद यह अपनी आलोचनाओं से भरपूर मेरे लेखों को भी अपने  सिर आँखों पर बैठाने (फीचर्ड करने ) लगी ……

                    और अब तो नौबत यहाँ तक आन पहुँच चुकी है की इसने अपने सभी नए और पुराने आशिकों को अपनी आलोचना करने का खुला न्यौता दे डाला है…… अब जब बिल्ली ने खुद ही कह दिया है की आओ मेरे प्यारो ! और मेरे गले में घंटी बाँधो ….. तो इसके इस आमंत्रण रूपी ऐलान से सभी चूहों में खुशी की लहर दौड़ गई है ….. कुछेक चूहे  रेंगते हुए तो कुछेक  चलते + दौड़ते हुए और कुछेक  अपनी लुकटी टेकते हुए  उचक -२ कर उछल कूद मचाते हुए + फुदकते हुए इस प्रतियोगिता में बढ़ चढ़ कर भाग ले रहे है …… और अपने इस कारनामे को अंजाम देकर शेखचिल्ली की तरह इतराते हुए अपने साथियों में सीना फुलाए घूमते  फिरते है ….. इनके साथी भी कहाँ कुछ कम है …… वोह भी इनको यह कहते हुए पूरी तरह चने के झाड़ पर चढ़ा देते है की वाह ! आपने तो कमाल ही कर दिया , अब तो आप यकीनन पहाड़ हो ही जाएंगे …..

                 इतना जुकाम तो मेंढकीओ को किसी इनामी प्रतियोगिता में भी नहीं होता  जितना कि इस बार हो रहा है ….. चाहे कोई अनुभवी हो या फिर नौसिखिया  , जिसे देखो इसे अपना चालचलन सुधारने के लिए लंबे लंबे भाषण  रूपी सुझाव दिए चले जा रहा है ……

                            मैं आप सभी से यह इल्तजा करता हूँ की आप सभी अपनी -२ घंटिया इसके गले से वापिस उतार ले ….. और इसको अपनी मर्जी से पहले की तरह खुदमुख्त्यारी से काम करने दे …… क्योंकि इसका खसम होने के नाते मैं भली भाँती जानता हूँ की मेरी यह बीवी पूरी तरह उस्ताद्नी (घाघ ) है ….. अपनी खुद की मर्जी से तो यह आपको दुनिया जहान की नेमतो से नवाज दे , लेकिन मांगने से किसी को भी कुछ भी न मिलेगा …..

                           अपनी जागरण बीवी  का एक अदद पति

                                   राजकमल शर्मा

चलते चलते एक
राजकमलिया जोक :-
एक ब्लागर का जब आखिरी समय निकट आ गया तो उनसेमैंने कहा कि अपने मुंह से तीन बार राम ! राम ! राम ! का उच्चारणकीजिये
उन्होंने इशारे से बतलाया कि यह तो असम्भव और नामुमकिन है
तब मुझकोथोड़ा सा गुस्सा आ गया और मैंने भी कह दिया कि गांधी जी को गोली लगी थी फिर भी उनकेमुख से राम का नाम निकला था और एक आप है कि  ?……
तब उन्होंने बहुत ही मुश्किल से जो शब्द कहेथेवोह मुझको आजीवन याद रहेंगे:-
कमेन्ट ! कमेन्ट !! कमेन्ट !!!

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