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“जागरण-जंक्शन के साथ बिताए खट्टे-मीठे पल- FEEDBACK” (राजकमल प्रोडक्शन)

RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
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हालाकि घर में बचपन से ही पंजाब केसरी अखबार पढ़ते चले आए थे लेकिन क्रिकेट में भारत की और क्रिकेटर्स की उपलब्धियों वाले दिन जागरण अखबार में उन यादगार पलों की बेहतरीन और नायाब प्रस्तुति के कारण इससे किसी हद तक लगाव हो गया था …… शायद इसी कारण जागरण जंक्शन के शुरू होने के कुछेक महीनों के बाद मैंने फीडबैक में एक सुझाव मेल द्वारा भेजा था …… उनके जवाबी मेल ने मुझको जागरण जंक्शन की ब्लागिंग से जोड़ दिया था ….. 

                      अपने शुरूआती दिनों में मैं सिर्फ और सिर्फ शायरी लिखा और पोस्ट किया करता था …. और इतेफाक से ही उन्ही दिनों जागरण ने एक नई कैटिगिरी का निर्माण किया ….. और आपके इस भोले- भाले पन्छी राजकमल ने अपने मन में यह भरम पाल लिया की उस कैटिगिरी का निर्माण इस मंच के मुझ अकेले शायर के लिए किया गया है ….. बेशक जागरण जंक्शन के लिए मैं बाकि के ब्लागरों की तरह से था लेकिन अपनी एकतरफा अन्धी मोहब्बत के कारण मैं खुद  को खास समझने लग गया था ……. शायद इसीलिए मैंने इस पर इतना कुछ लिख डाला , यहाँ तक की इसको अपनी तथाकथित बीवी मान कर जागरण मेरी बीवी भई सबकी सरकार नामक लेख तक लिख डाला था ……. 

                       यहाँ पर मुझको एक सबसे पहला तगड़ा झटका तब लगा था जब इस मंच पर मेरी जानकारी में पहली और दूसरी साहितियक चोरी की घटनाएं एक के बाद एक सामने आई थी ….. लेकिन उन दुखद और हतप्रभ कर देने वाले लम्हों में भी मैंने इस मंच को नहीं छोड़ा बल्कि यह निश्चय किया की अब मुझको इतना दबंग (दस नम्बरी ) बनना है की मेरे इस मंच पर होते हुए कोई भी चोर किसी भी रचना की तरफ अपनी नापाक निगाह ना  डाल सके और ना ही उसका अपहरण कर सके …… 

                      फिर इसके बाद हमने ईसाईयत वाले साहितियक आंतकवाद का भी सामना किया ….. उस समय कुछेक पल पहले पोस्ट की हुई रचना हमारे देखते ही देखते अगले कई पन्नों पर पहुच जाया करती थी ….. उन विषम हालात में भी हमने अपनी इस लड़ाई को लड़ा और जीता जिसका की शुरुआत में कुछेक साथियों ने यह कहते हुए मजाक भी उड़ाया की हमे इन सब बातो की फ़िक्र करने की बजाय बस ब्लागिंग से मतलब रखना चाहिए , और इस तरह के मसलों को जागरण के उपर छोड़ देना चाहिए …… लेकिन हमने बाकि के साथियों के सहयोग से अपनी आवाज बुलन्द की और जागरण को इस विषय पर त्वरित और आवश्यक कार्यवाही करने के लिए मजबूर किया ……

                            इसके बाद पिछली होली से पहले किसी तकनिकी खामी या फिर किसी हैकर के कारनामे के कारण मैंने अपना ब्लॉग डिलीट करने और इस मंच को छोड़ने का न सिर्फ मन बनाया बल्कि एक लेख लिख कर बकायदा इसका ऐलान भी कर दिया ….. लेकिन जब मैंने अपने स्व विवेक का इस्तेमाल करते हुए अपने ब्लॉग को डिलीट करने का विचार त्याग दिया तो मुझ पर बात कह कर उससे पीछे हटने और मुकरने का आरोप भी लगाया गया ….. मैं अपने ब्लॉग को तो डिलीट भले ही कर देता लेकिन अपने साथियों के विचारों +सुझावों को डिलीट करना मेरे बस में नहीं था ….. क्योंकि यह मेरी ब्लागिंग की महागाथा कई संघर्षो और उनमे जीतते हुए इस मुकाम तक पहुंची थी ….. सच में ही हमने संग्राम लड़े थे जिसके कारण आप और हम आज आजादी से सहज रूप से ब्लागिंग कर पा रहे है ……

                   मेरे इस कदम के बाद जागरण जंक्शन पर मेरे लेख फीचर्ड होने पूरी तरह से बंद ही हो गए थे ….. मुझे ऐसा लगने लगा था की मैं इस घर में घर के मालिकों की मर्जी के बिना जबरदस्ती ही बेशर्मी से रह रहा हूँ ….. किसी भी हालात में आशा का दामन न छोड़ने तथा संघर्ष करने की आदत के चलते इस मंच को छोड़ने से पहले एक लेख लिखा ….. मुझे तब हार्दिक और आत्मिक खुशी हुई जब जागरण ने मेरे ब्लॉग पर यह कहा की मैं इस मंच का पुराना और नियमत ब्लागर होने के नाते अपनी ब्लागिंग जारी रख सकू तो उन्हें खुशी होगी ….. बस इसी के साथ सारे गीले शिकवे और मेरे मन में घर कर गई बेगानेपन की भावना समाप्त हो गई …..

                            एक व्यंग्यकार होने के नाते मैंने लगभग सभी से दुश्मनी मोल ली (तकरार की ) ….. कहते है की एक विलेन अपने रोल में तभी दक्ष माना जाता है जबकि दर्शकगण उससे नफरत करे ….. अगर इस लिहाज से देखा जाए तो मैंने अपना रोल उचित ढंग से निभाया ….. हर समय मुझ से कोई ना कोई नाराज रहता ही रहा है ….. एक को मनाऊ तो दूजा रूठ जाता है , लेकिन अब तो इस सबकी आदत हो चली है …… और अब तो आप सभी भी  मुझ दस नम्बरी + मस्त -२ कुत्ती चीज से भली भांति वाकिफ  हो गए है की मैं ऐसा कुत्ता हूँ जोकि न केवल भोंकता है बल्कि काटता भी है ……

                          मुझे किसी की तारीफ करना चापलूसी करना लगता है इसीलिए मैं ज्यादातर नकारात्मक और आलोचनात्मक प्रतिकिर्या ही दिया करता है ….. लेकिन इस सभी के बावजूद आप सभी ने मुझको अपना असीम प्रेम और स्नेह तथा सहयोग दिया ….. जिसका प्रमाण इस मंच पर अभूतपूर्व तरीके से आप सभी द्वारा मेरा जन्मदिन मनाना रहा …… मेरे लिए इस मंच का यह सबसे मीठा पल (मीठा फल ) रहा है जिसकी मिठास कभी भी कम नहीं होगी ……   

          आप सभी का तथा जागरण जंक्शन का तहे  दिल से आभारी 

 पुराना “पवित्र पापी” नहीं “सिर्फ और सिर्फ पापी”                                     

                                     राजकमल शर्मा

(काफी दिनों के बाद वापिस आने पर पाया की हर संभव कोशिश करने पर भी ज्यादातर साथी ब्लागर्स  के ब्लॉग पर कमेन्ट नहीं दे पा रहा हूँ इसलिए मन में बहुत निराशा तथा दुःख है तथा उत्साह गायब है इसीलिए अपनी इस पोस्ट पर कमेन्ट क्लोज्ड कर रहा हूँ )

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