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“जागरण जंक्शन की दुनिया के नवजात शिशु’ –‘ DEDICATED TO UNSUNG – HEROES”

RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
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दोस्तों इस जागरण मंच रूपी दुनिया में हर रोज नए -२ शिशुओं (ब्लागरो ) का जन्म होता है ….. इस दुनिया की एक अजीब बात है की यहाँ की मृत्यु दर जन्म दर के मुकाबले में बहुत ही कम है ….. और इस्त्री –पुरुष अनुपात में भी आश्चर्यजनक रूप से पहले की अपेक्षा बहुत ही सुधार हो रहा है …..
जो भी नए शिशु इस जागरण जंक्शन की दुनिया में अपनी आँखे खोलते है उन सभी का स्वभाव अलग -२ होता है …. कुछेक शिशु बहुत ही हंसमुख स्वभाव के और खिले -२ चेहरे वाले होते है ….. उनको देख कर आपके मन को बहुत ही खुशी होती है और आपको देख कर बदले में वोह शिशु भी खुश होते है ….. ऐसे हंसमुख बच्चों को बार -२ “गोद” में उठाने और दुलारने का मन करता है – और मैं ऐसा करता भी हूँ ….. वास्तव में केवल ऐसे शिशु ही उस मापदण्ड पर सही बैठते है जिसमे कहा जाता है की हरेक बच्चे में “भगवान का नूर” होता है ….
कुछेक शिशु बिलकुल रोनी सूरत वाले होते है …… वोह बेचारे ज्यादातर समय रोते ही रहते है ….. खुद तो उदास होते ही है मेरे जैसे दूसरे मिलने वालो को भी उदास करके निराशा से भरने की कोशिश किया करते है …. आप किसी भी नजरिये से उनको कोई भी बात कह दो , वोह झट से रोना शुरू कर देंगे और आप घबरा कर उनको अपनी गोद से उतारने पर मजबूर हो जायेंगे ….. हद तो तब हो जाती है जबकि कई “अबोध – बालक” आपकी गोद में “सू –सू” करके कपड़ो को “गीला” भी कर देते है –और आप ऐसे जिद्दी + नासमझ और गंदे बच्चों को कभी भी न उठाने की कसम खा लेते हो …..
कुछेक शिशुओं को अपना पिछला जन्म याद होता है ….. वोह हमेशा ही गुमसुम से रहते है खुद में ही खोये हुए ….. वोह धोबी के कुत्ते की तरह से ना तो अपने पुराने घर के ही हो पाते है और न ही इस नए घर रूपी घाट के …… उनका इस जागरण की दुनिया के बाहर वाली दुनिया में भी थोड़ा बहुत मुकाम होता है …. उनके पिछले जन्म की यादें इस जन्म को सही तरीके से जीने में अक्सर ही रुकावट बन जाया करती है …..
कुछेक शिशु अल्पाहारी होते है तो कई बिलकुल ही पेटू स्वभाव के होते है ….. कईओ को तो आप जितना चाहे खाना (कमेन्ट) खिला दो उफ़ नहीं करेंगे बड़े ही मजे से चट कर जायेंगे ….. लेकिन बहुत ही कम ऐसे बीमार शिशु भी होते है जिनको की खाना (कमेन्ट ) न तो अच्छा लगता है और न ही पचता है ….ऐसे बीमार शिशुओ का वक्त के इलावा और कोई भी उपचार नहीं है ….. क्योंकि कहा भी गया है की “वक्त की हर शय गुलाम वक्त के कल और आज” ……
कई शिशुओं `को एक अजीब तरह की बीमारी होती है …. उनकी आहार नली तो सही सलामत होती है लेकिन निकासी के मार्ग नदारद होते है , यानि की निकासी की कोई भी व्यवस्था नहीं होती है ….. अब जब यह जागरण की दुनिया है तो इसमें ऐसे किन्नर भी स्वभाविक रूप से होंगे ही …. वोह खाना (कमेन्ट ) खा तो लेते है लेकिन न तो कमेन्ट का अपने खुद के ब्लॉग पर जवाब देकर निकासी करते है और न ही खाना खिलाने वाले का उसके ब्लॉग पर जाकर आभार प्रकट ( निकासी ) करते है ….. इनका इलाज इनके खुद के हाथ में है , यह अपना निकासी सिस्टम ठीक करके खुद को ब्लागिंग की मुख्यधारा से जोड़ते हुए + एक आम प्राणी की (ब्लागर वाली ) सुखी और खुशहाल जिंदगी जीते हुए इस अभिशाप से “जीते – जी ही मुक्ति” पा सकते है …..
लेकिन एक बात की मुझको बेहद खुशी है की इस मंच पर एक भी “गे” नहीं है ….. यानि की किसी भी ब्लागर के महिला और पुरुष वाले नाम के दो ब्लॉग नहीं है ….. इसकी बजाय एकाध ऐसे ब्लागर जरूर है जोकि अपने अलग अलग नाम से दो ब्लॉग रखते है , जिनको की हमशक्ल अर्थात जुड़वाँ की श्रेणी में रख सकते है ….. वैसे तो यह खुद ही अपने बारे में बता देते है लेकिन फिर भी आप इनके जन्मजात गुण + हरकते और आदते देख कर इनके बारे में सहज रूप से अनुमान लगा सकते है की यह दोनों एक ही मां –बाप की औलाद है …..
उपर जितनी भी तरह के शिशुओ की मैंने नस्ले बताई है इन सभी में एक कामन बात है की इस जागरण की दुनिया में आँखे खोलने पर शुरुआत में यह सभी खुद को असहज महसूस करते है और खुद को लावारिस समझते है ….. और इस बात पर आँख मुंद कर विश्वाश करते है इस जागरण की दुनिया में पुराने ब्लागरों की एक संगठित लाबी है जिसने की अपना एक “कमेन्ट – माफिया” खड़ा कर रखा है …..
मैं इन सभी शिशुओ के ज्ञान चक्षु खोलना चाहता हूँ और इनको यह ‘उपदेश’ देना चाहता हूँ की जिस प्रकार से भौतिक संसार में धन रूपी माया ठगिनी का बोलबाला है ठीक उसी प्रकार इस “ब्लागिंग की बोद्धिक दुनिया” में कमेन्ट का बोलबाला है ….. कोई भी ‘अपना’ नहीं और कोई भी ‘पराया’ नहीं …. किसी हद तक इस आभासी दुनिया में कमेन्ट से जुड़े हुए ही सभी रिश्ते और नाते है ….
आप भी इस कमेन्ट रूपी दौलत को निवेश करके + खर्च करके बदले में उसी अनुपात में कमेन्ट की दौलत पा सकते है …… लेकिन एक बार निवेश करके आप निश्चिन्त नहीं हो सकते हो , इसलिए आपको यह प्रयास अपनी जिंदगी की आखिरी सांस तक करते रहने होंगे …. एक बार अपने खुले मन से निवेश कर दिया तो फिर आपके ( खेत ) ब्लॉग भी इस कमेन्ट रूपी भरपूर फसल से लहलहाने लगेंगे …..
आप सभी बच्चों के लिए शुभकामनाओं सहित

पितामाह- राजकमल भीष्म
(मुझको हमारे ब्लागर भाई प्रिय बैजनाथ पांडे जी ने एक बार बताया था की बहुत से ऐसे साधनहीन छात्र है जोकि अपना खुद का कम्प्युटर न होने के बावजूद भी साइबर कैफों में जाकर जागरण जंक्शन पर प्रकाशित ब्लाग्स को बड़े ही चाव से पढ़ते है …. उनमे से एक से मेरी मुलाकात भी हो चुकी है ….. मैं अपना आज का यह लेख खास तौर पर उन सभी पर्दे के पीछे के ( UNSUNG – HEROES) नायकों को समर्पित करता हूँ जिनकी अद्रश्य दुआओं और आशीर्वाद से शक्ति पाकर आज मैं इस मुकाम तक पहुँच सका हूँ ….) “जागरण जंक्शन की दुनिया के नवजात शिशु’ –‘ DEDICATED TO UNSUNG – HEROES”

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