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“जब जागरण गांव की सभी शादीशुदा महिलाओं ने की प्यार की हड़ताल”

RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
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आफिस में आज सुबह ही राजकमल की नई -२ चौथी शादी की पार्टी हुई थी ….. लेकिन सारा दिन उनका मूड कुछ उखड़ा -२ सा था …. आफिस में इस बाबत उनसे किसी ने भी कुछ पछने की जुर्रत नहीं की क्योंकि सभी स्टाफ के लोगो ने सोचा की हो सकता है की अपनी नवविवाहित पत्नी के फेरा पाने के लिए चले जाना ही शायद इसका असली कारण हो …… लेकिन आज तो उनको खुश होना चाहिए था क्योंकि सुबह की बैलगाड़ी से ही उनकी पत्नी अपने ससुराल वापिस आ रही थी …..
शाम को आफिस के मुंहलगे हंसोड़ चपरासी मुच्छड़ नत्थूलाल ने राजकमल जी से कहा की “साहब ! आफिस बंद करने का समय हो गया है आपने घर नहीं जाना है क्या ?……थोड़ी देर में ही आपके गांव के लिए आखिरी तांगे का समय भी निकल जाएगा” ……
एक लम्बी और बर्फ से भी ज्यादा ठंडी सांस लेकर राजकमल जी बोले माई डियर नत्थू ! “अब तुम्हे क्या बतालाऊँ” ? ….. दरअसल हमारे गाँव की सारी की सारी औरतों ने एक स्वर में कहा है की जब तलक गांव की मुख्य कच्ची सड़क को पक्का नहीं कर दिया जाता तब तक वोह सभी मर्दों से ‘प्यार की हड़ताल’ पर रहेंगी ….. अगर पहले इस मुसीबत के बारे में पता होता तो मैं अगले महीने निकलने वाले महूर्त वाले दिन ही शादी करता” ….. नत्थूलाल अपनी मूंछो में मुस्कराने लगा था लेकिन प्रकट रूप में राजकमल जी से सहानभूति जताते हुए बोला की “इस हड़ताल से सबसे ज्यादा पीड़ित तो आप ही होंगे इसलिए आप , सभी गांव वालों को साथ लेकर सम्मिलित प्रयास करके इस अनचाही +अचानक आन पड़ी विपदा का अति शीघ्र कोई न कोई हल जरूर निकाले ….. राजकमल जी ने उसका सुझाव मानते हुए इस दिशा में सार्थक प्रयास करने के लिए उसी समय नत्थूलाल को साहब के नाम एक हफ्ते की छुट्टी की अर्जी थमाई और अपने घर को चल दिए ……
अगली सुबह से ही राजकमल जी को अपने अभियान में लग जाना था ….. इसलिए नश्तापानी करके गांव के सभी पुरुषों को गाँव के पीछे सुनसान जंगल की तरफ इकटठा करके उन्होंने एक खुली जगह पर अपनी चौपाल सजा ली ….. गांव के नम्बरदार ने बात शुरू करते हुए कहा की इस सामूहिक आपदा का कारण तो आप सभी जानते ही है इसलिए आइए हम सभी मिल बैठ कर इसके हल के बारे में कुछ सोच विचार करे …. सबसे पहले गांव के वकील श्री के .एम . मिश्रा जी बोले की असल बात मैं बताता हूँ इस सारे फसाद की जड़ अभी पिछले दिनों ही भ्राता राजकमल की शादी में आई हुई शहर की छम्मकछल्लो यानि उनकी साली साहिबा है ….. उसी ने हमारे गांव की भोली भाली +सीधीसादी महिलायों को भड़का कर बरगलाया है …. तभी प्रिय अबोध बालक जी के गजोधर चाचा जी बोले की भाई लोगो मैं तो उस लड़की को अपने भतीजे अबोध के लिए बहू बनाने की ठान चूका था ….. लेकिन अब ऐसी गलती हरगिज नहीं करूँगा …… राजकमल जी बोले की गजोधर चाचा एक बारगी तो विश्वाश नहीं होता की क्या वाकई में वोह  अबोध बालक शादी के लायक हो गया है ….. गजोधर चाचा बोले की नहीं बेटा राजकमल अब उस अबोध को तमाम जरूरी बातो का बोध हो गया है ….. अब वोह अपनी शादी की बात से शरमाता नहीं बल्कि खुद ही उसके बारे में बात करता है …… उनकी बात को बीच में ही काटते हुए पण्डित भ्रमर जी ने अपना ज्ञान बघारा की नहीं बंधुवरो जहाँ तक मैंने सितारों का हिसाब लगाया है उसके अनुसार राजकमल जी की साली की इसमें सिर्फ सहायिका की ही भूमिका है इस सारे ड्रामे की असली सूत्रधार तो उसके साथ आई उसकी सहेली अनीता मैडम जी है ….. उसमे गजब की प्रतिभा है उसी के बहकावे में आकर हमारे गाँव की औरते बहक गई है ….. हमारे आलराउंडर जी बोले की यह वही अनीता मैडम जी है ना जोकि हर किसी से कहती फिरती है की ‘सभी मर्द एक जैसे होते है’ …… क्या अपना टैलेंट दिखाने के लिए इनको हमारा ‘जागरण-गांव’ ही मिला था ….. लो भुगतो ! अब इनकी करनी का फल – इन्होने तो पुरुषों के मुकाबले अपनी तरफ से साबित कर ही दिया है की सभी महिलाए भी एक जैसी  ही होती है …..
तभी संतोष जी बोले की ऐसा लगता है की अन्ना जी का असर हमारे गांव पर भी हो गया है …… तभी एक नोजवान अपनी जगह से खड़ा होकर बोलने लगा की बाकी सभी बाते झूठ है मैं तो बस इतना जानता हूँ की इस जागरण कस्बे की सभी महिलाओं में जागृति आदरणीय निशा मित्तल जी के समाजिक विषयों पर लिखे हुए लेखों को पढ़ने और सुनने के बाद ही आई है ….. उसकी बात सुन कर सभा के सभी पुरुष उनकी तरफ अजीब सी नजरों से देखने लगे क्योंकि उसको आज से पहले गाँव में किसी ने भी नहीं देखा था ….. लेकिन राजकमल जी ने  अपनी  तीसरी आँख द्वारा देख लिया की वोह तमन्ना जी ही है जोकि पुरुष वेश में महिलाओं की तरफ से पुरुषों की इस गुप्त सभा के भेद लेने के लिए गुप्त रूप से आई थी …… राजकमल जी ने तुरन्त ही बात को संभालते हुए कहा की बंधुओं यह मेरी कल शाम को आई हुई नई नवेली दुल्हन का शहर से आया हुआ मुंहबोला भाई है …..
तभी आदर्श सोसाइटी के घोटाले का पर्दाफाश करने वाले आदरणीय शाही जी पुरे तथ्यों और आंकड़ो सहित बोले की मैं जानता हूँ की हमारे गाँव के ठाकुर साहब जोकि इस गाँव के सरपंच भी है ने सरकार से न केवल सड़क के नाम पर पैसा लेकर खा लिया है बल्कि उसकी मुरम्मत के नाम पर भी सरकारी खजाने को समय -२ पर चूना लगाते रहते है ….. यह सुन कर सभी एक स्वर में बोले की चलो ठाकुर साहिब की हवेली चल कर उन्ही से पूछा जाए …..( बिल्ली के गले में घन्टी बाँधी जाए )
दिव्या बहन +वाहिद जी+संदीप कोशिक जी+नीलम जी समेत सभी कहने लगे की हम अपनी कविताओं और संतोष कुमार तथा जुबली कुमार जी के वयंग्य के द्वारा ठाकुर साहिब को शर्मशार कर देंगे …… हमारे चातक जी +अश्वनी भाई और मनोज भाई + राहुल प्रियदर्शी जी कहने लगे की हम अपनी ओजस्वी रचनाओं द्वारा ठाकुर साहिब का साम्राज्य हिला कर रख देंगे …… आदरणीय वाजपेयी जी और आदरणीय अलका जी तथा रीटा जी बोली की हम उस ठाकुर दुर्जन सिंह को प्यार से समझायेंगे तो वोह क्यों नहीं मानेगा ….. अपने के.एम्.मिश्रा जी और मुनीश जी बोले की हमारा वकालत का ज्ञान कब काम आएगा …. लेकिन राजकमल जी बोले की वोह ठाकुर लातो का भूत है –बातों से कतई नहीं है मानने वाला फिर भी हम सभी एक कोशिश कर के देख लेते है …..
ठाकुर साहिब सभी गाँव वालो को एक साथ आया देख कर हैरान और परेशान थे ….. जब सभी ने उनको अपनी सांझा समस्या बतालाई तो ठाकुर साहिब बोले की तुम क्या समझते हो की मैं अकेला ही इस हड़ताल से खुश हूँ ? ….. अरे भाई लोगो सबसे ज्यादा तकलीफ तो मुझी को ही हो रही है , हम ठाकुरों का गर्म खून किसी भी हड़ताल को सहन नहीं कर सकता है ….. इस समस्या के इलाज के लिए हमने शहर से अपने लिए एक लड़की मंगवाई है ….. ठाकुर साहिब के इस बेशर्मी भरे बयान से सभी समझ गए की ठाकुर साहिब को सिर्फ अपनी ही पड़ी है जनता के दुःख और दर्द से इनका कोई भी लेना देना और सरोकार नहीं है …..
जब यह बात गाँव की महिलाओं तक पहुंची तो सभी ने अपनी एकजुटता का प्रदर्शन करते हुए ठाकुर साहिब की हवेली को चारों तरफ से घेर लिया …. वैसे भी गाँव में घट रही सभी घटनाओं की पल पल की जानकारी तमन्ना जी हाटलाइन द्वारा अनीता मैडम को भेज रही थी ….. वोह नारी मुक्ति आन्दोलन की सदस्याओं को लेकर तुरन्त ही गाँव में पहुंची और सबने ठाकुर साहिब मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए पहले तो सारे गाँव में जलूस निकाला और फिर उनकी हवेली को घेर कर उनको यह अंतिम चेतावनी दे दी गई की अब शहर से कोई भी रक्कासा आपकी महफ़िल को रोशन करने + सजाने नहीं आ सकेगी और यह धरना भी हमारी सड़क को बनाने की मांग के पूरा होने तक जारी रहेगा …..

दो दिन तक तो ठाकुर साहिब अपनी अकड़ में रहे लेकिन तीसरे ही दिन उनके गर्म खून को जन शक्ति + महिला शक्ति के सामने अपनी हार मान कर हथियार डालते हुए सड़क निर्माण का वायदा करना पड़ा ….. लेकिन ठाकुर साहिब की दोरंगी चालबाजियों को जान गई जागरूक जनता , अब उनकी मीठी -२ बातों और कोरे आश्वाशनो से भ्रमित होने वाली नहीं थी …. ठाकुर साहिब की हवेली का घेराव और अपना धरना उन्होंने सड़क का निर्माण कार्य शुरू होने पर ही उठाया …..
तो दोस्तों इस प्रकार इतनी “जद्दोजहद और त्याग” की वजह से बनी उस नयी सड़क पर से होते हुए राजकमल जी ने कुल्लू मनाली में अपनी सुहागरात + हनीमून की तैयारी की ….. और पुरे गाँव भर में हरेक घर आंगन में प्रेम का सागर फिर से हिलोरे लेने लग गया था ….. फिजा में मस्ती का एक अलग ही रंग घुल गया था ….. सभी को इस बात की खुशी थी की अब किसी भी प्रसूता को टूटी हुई सड़क के कारण अकथनीय वेदना को नहीं सहन करना पड़ेगा ….. और उससे भी बड़ी खुशी की बात थी अबोध बालक जी का राजकुमार जी की साली के साथ टांका फिट होना ……

बोलो नारी शक्ति की जय – बोलो जन शक्ति की जय
बोलो लोकराज की जय – बोलो लोक शक्ति की जय जयकार

राजकमल हजारे
नोट :- अगर मेरे किसी साथी + भाई -बहिन को लगता है की उन्होंने हड़ताल तथा घेराव और धरने + जलूस में भाग नहीं लिया था तो उन देशभगतो का नाम निकाल कर मैं उनकी जगह उन सभी का नाम डाल दूँगा जिनको की लेख के ज्यादा लंबा होने की वजह से जगह नहीं मिल पाई है ……
*यह घटना पुरानी है लेकिन अब तो जागरण गांव सुख सुविधाओं के मामले में शहरो को भी मात कर देता है ……
(यह लेख यूरोप के देश {शायद जर्मन} के एक शहर में घटित सच्ची घटना पर आधारित है ….. मेयर की जगह ठाकुर दुर्जन सिंह का नाम डाल दिया गया है )“जब जागरण गांव की सभी शादीशुदा महिलाओं ने की प्यार की हड़ताल”

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