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“”कांतिलाल गोडबोले – फ्राम किशनगंज ”

RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
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अभी कुछ दिन पहले ही हमारी मतलबपरस्त मायानगरी यानि की बालीवुड की जिगर से बीड़ी जलाने वाली हाट -२ बंगाली बाला बिल्लो रानी (बंगाली रसगुल्ला –बिपाशा बासु ) ने यह कह कर सनसनी फैला दी थी की जिस शख्श से हम प्यार करते है उससे आलिंगनबद्ध होना और उसका चुम्बन उर्फ चुम्मा लेना एक स्वाभाविक प्रकिर्या है …..
यह सुन कर यार लोगो का दिमाग न केवल 360 डिग्री के अंश तक घूमी – घूमी कर गया बल्कि तमाम तरह की कल्पनाए भी कर डाली ….. आजकल के आधुनिक जमाने में जहां चारो तरफ तेजी से पैर पसारती हुई महानगरीय संस्कृति में लिव इन रिलेशनशिप के तहत प्रेमी जोड़ो में बिना विवाह किये हुए ही बिलकुल पति – पत्नी की तरह रहने की प्रवर्ति जोर पकड़ती जा रही है ….. वहां के माहौल में किसी प्रेमी -प्रेमिका के बीच अब भला क्या स्वभाविक और क्या अस्वभाविक ….. औरते पुरुषों की बराबरी करने की होड़ में कुछ इस कद्र आगे निकल चुकी है की अब अस्वभाविकता स्वभाविकता में बदल चुकी है ….. शर्म और बेशर्मी के मायने बिलकुल बदल चुके है तो नैतिकता के तकाजे भी बदल गए है …..
लेकिन इस चुम्बन का फंडा मेरी जिंदगी में कुछ अलग ही मायने रखता है ….. मेरी कुछेक लड़कियों से यारी दोस्ती है , हम लोगो मे भी स्वभाविकता का पुट लिए हुए चुम्बनों का आपसी आदान प्रदान तो होता ही है वक्त बेवक्त हम एक दूसरे को “जादू की झप्पी विद पप्पी’ और ‘विदाउट पप्पी” भी दिया करते है ….. तुरन्त बाद में अक्सर ही वोह मुझसे पूछा करती है की मेरी पप्पी कैसी थी , उसमे कितनी मिठास थी …. अब उन मूर्खमतियो को क्या बतलाऊं की तुम्हारे मेकअप का टेस्ट कैसा था ? ….. मुझको तो सोमवती के मेकअप का टेस्ट मंगला से बेहतर , और मंगला से बेहतर बुधिया का , और बुधिया से बेहतर वीरावाली का , और वीरावाली से बेहतर शकुंतला का , और शकुन्तला से बेहतर शनिचरी देवी का तथा शनिचरी देवी से बढ़िया इतवारी देवी का चुम्मा लगता है …..
आजकल के जमाने में चुम्मे का असली स्वभाविक जायका मेकअप की भारी परतों में जाने कहाँ खो जाता है ….. अक्सर ही नारियां पुरुषों से यह पूछा करती है की ऐ जी ! आज दाल -सब्जी कैसी बनी है जी …. अब इन मूढ़मतिओ को कौन और किस प्रकार समझाए की दाल सब्जी तो हमेशा एक ही टेस्ट की होती है लेकिन उसमे तड़का लगाने की कला और दक्षता ही उसे उत्तम तथा जायकेदार बनाती है ….. इसी प्रकार मैं अपनी नारी दोस्तों के मुंह पर कभी भी यह कहने की जुर्रत नहीं कर पाया की तुम्हारे मेकअप का टेस्ट अच्छा है या फिर तुम्हारे चुम्मे का जायका ….. सबसे बड़ी राहत की बात है की मेरी सभी जुम्मालिनाये सिर्फ जुम्मे को ही नहीं बल्कि हर वार को चुम्मा देने को तैयार रहती है ….. बस आपमें उनका चुम्मा लेने की हिम्मत और सामर्थ्य होनी चाहिए …..
अभी चंद रोज पहले की ही बात है की मैं अपनी जानू (उन सातो के इलावा) से मिला तो उसको जादू की झप्पी डालते हुए यह कहते हुए इकत्तीस पप्पिया ले डाली की तुमसे एक दिन दूर रहना पुरे एक महीने के समान लगता है ….. अगली बार जब मैंने उससे कहा की तुमसे मिलने के बाद तो ऐसे लगता है की जैसे पुरे एक बरस के बाद मिल रहा हूँ तो वोह कमबख्त सर पे पाँव रख कर ऐसी गायब हुई की फिर पुरे चार घंटे के बाद वापिस प्रकट हुई ….. मैंने पूछा की जानेमन तुम कहाँ चली गई थी ….. उसने झट से मेरे हाथ पर ब्यूटी पार्लर का लंबा चौड़ा बिल धर दिया और कहने लगी की मैं अपने चेहरे पर भारीभरकम मेकअप करवा कर आई हूँ …. अब तुम अगर चाहो तो बेझिझक एक बरस तो क्या कई बरसों की दुरी को समाप्त कर सकते हो , क्योंकि अब मेरी स्वभाविक त्वचा को कोई नुक्सान नहीं पहुंचेगा ….. मैंने भी कहा की जानू तुम मेकअप की बजाय अपने चेहरे को लेमीनेशन ही करवा लेती तो फिर मैं अगर जन्मो जन्मांतरो की दुरी भी समाप्त कर लेता तो तुमको कोई फर्क नहीं पड़ता ….
मुझको तो ऐसा लग रहा है की हमारा जन्म पचास साल पहले हो गया है शायद उसी की सजा हम लोग भुगत रहे है ….. ऐ काश ! की मैं तब जन्म लेता जब की हमारा भारतवर्ष विकासशील से विकसित देश बन गया होता …. फिर हम भी किसी से मिलते समय बड़े ही मजे से हाथ मिलाने की बजाय पारी -२ और पुच्ची -२ किया करते ….. अब हम सारे दिन में बस सिर्फ एक बार ही हाथ मिलाते है …. फिर हम दिन में बीसियो बार एक ही बाला से बार बार अपने परम्परागत अंदाज़ में मिला करते …..
अब यह नारिया शादीशुदा और कुंवारियां चाहे जितना भी सलट वाक कर ले चाहे कितना भी गलत सलत वीयर करके वाक क्यों न कर ले , जिन कान्तिलालो ने चुम्मा लेना है वोह तो लेकर ही रहेंगे ….. और रही सही कसर हमारे आदर्श आदरणीय प्रिय भाई इमरान हाशमी जी ने पूरी कर दी है ….. उनके सामने लड़की खुद ही अपनी मर्जी से बिना मांगे हंसी खुशी से चुम्मे पे चुम्मा दिए जाती है ….आखिर वोह भी क्या करे ? उस बेचारी की भी तो मजबूरी होती है …. क्योंकि वोह अच्छी तरह से जानती है की अगर उसने अपनी खुद की मर्जी से चुम्मा नहीं दिया तो फिर जब वोह हजरात अपनी मर्जी से चुम्मा लेने पर उतर आये तो पता नहीं उनकी मनमर्जी फिर कहाँ पर जाकर रुकेगी ……
इधर मैं सोमवती से लेकर इतवारी देवी तक सभी सातो देवियों के चुम्मे लेने हफ्ते के सातो दिन बिजी रहता हूँ तो मेरी गैरहाजरी में कुछ सिरफिरे मेरी बीवी का चुम्मा ले जाते है ….. मैं चाहे कितना भी दिलफेंक कम चुम्माफेंक + चुम्मा समेटू क्यों न होऊं लेकिन इस सबके साथ -२ अपनी शरीकेहयात का एक गैरतमंद खाविंद भी हूँ ….. इसलिए अपने जवानी के कारनामों से फारिग होते ही मैं अपनी छम्मक्छल्लो पत्नी के सभी चुम्मा लेने वाले आशिकों की फेसबुक की मदद से अच्छी खैर खबर + बदला लूँगा ….. और बुढ़ापे में मैं एक नई नवेली कुंवारी षोडशी बाला से निकाह कर लूँगा …… अपनी जवानी के दिनों में में मैंने जिनकी पत्नियों के चुम्मे लिए है और ले रहा हूँ , अगर वोह बुढापे में कभी अपना बदला लेने आ जाए तो उनके स्वागत के लिए अपनी वर्तमान पत्नी को आगे कर दिया करूँगा ….. पुरानी पत्नी लोगो की उधारी चुकता करने के लिए + बदला चुकाने के लिए और नई पत्नी सिर्फ मेरे लिए …… आने वाले बदल रहे नए जमाने में नया नारा  (सिर्फ

कट्टरपंथी) मुस्लिमों की तरह “खून का बदला खून” की तर्ज़ पर “चुम्मे के बदले चुम्मा होगा” …..

सिरिअल किसर कांतिलाल गोडबोले
फ्राम किशनगंज

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