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“करिश्मा कुदरत का”

RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
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"अलग -अलग पिता के जुड़वाँ बच्चे" Top of Form

जुड़वां बच्चे के पिता अलग अलग –

डीएनए परीक्षण से पता चला कि एक महिला पोलिश जुड़वा, लेकिन केवल एक बच्चा जो उसके पति का बेटा था, जबकि अन्य मानव प्रेम है.


दोस्तों इसी हफ्ते यह ताजातरीन खबर आई है की  उत्तरी पोलैंड के  एक छोटे से शहर में एक महिला ने जुड़वाँ बच्चों को जन्म दिया है ….. आप लोग सोचेंगे की भला इसमें इतने अचरज वाली खास बात क्या है ? ….. लेकिन आप यह जान कर चौंक उठेंगे की उन दोनों ही जुड़वाँ बच्चों के पिता अलग -२ है …..

                          दरअसल उस महिला ने 48 घन्टे के अंतराल पर अपने प्रेमी से भावनात्मक और पति से समाजिक  सम्बन्ध बनाए जिसके फलस्वरूप ही यह कुदरत का करिश्मा घटित हो सका ….. उन  जुड़वाँ बच्चों के जन्म से उनके दोनों ही पिता  बेहद खुश है ……

                 वाह री  किस्मत ! वोह कहते है न की जब उपर वाला देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है …. यहाँ पर इस मामले में ना  केवल छप्पर फाड़ के बल्कि उम्मीद से दोगुणा भी मिला जय तो माँ सहित दोनों पिता आखिरकार खुश क्यों न हो ….

                  उस महिला जैसा नसीब कहाँ हर किसी का होता है जिसको की न केवल दो- दो पुरुषों का प्यार मिला है बल्कि उन दोनों के प्यार की दो- दो अनमोल निशानिया भी मिल गई है …..खुदा मेहरबान तो गधे (पति और प्रेमी ) पहलवान !

                   लेकिन यार लोगो को तो यही बात समझ नहीं आ रही की उन जुड़वाँ बच्चों को बेचारे कहूँ की सोभाग्यशाली कहूँ …. क्योंकि बिलकुल सगे और जुड़वाँ होते हुए भी वोह आपस में सौतेले भाई जो ठहरे  …..

                       अब इसको उस कुदरत की दरियादिली ही मानना पड़ेगा की ऐसा करिश्मा उसने उस यूरोपीय देश में किया है …. वरना कहीं ऐसा करिश्मा हमारे भारतवर्ष में हुआ होता तो अब तक पता नहीं कितनी लाशें बिछ जाती और इस बात की कोई गारन्टी नहीं की सम्बंधित में से कौन स्वर्गवासी हो जाता और कौन भाग्यशाली जिन्दा बचता …..

                         हमारे देश में भी बहुत से फोजियो + प्रवासियों + एन .आर .आई की बीविया इस तरह के  करिश्मे को दोहराने की न केवल काबलियत रखती है बल्कि इसके लिए हमेशा ही प्रयासरत भी रहती है ….. लेकिन अफ़सोस की उन बेचारियों को कुदरत की मदद नहीं मिल पाती यानि की उनके जुड़वाँ की बजाय सिंगल बच्चा ही होता है …. और पति बेचारा और किसी की औलाद को अपनी समझ कर न केवल पालता पोसता है बल्कि अपना नाम भी देता है …..

                  बेचारा पति और पिता अपने उस सौतेले बच्चे के नयन नक्श देख देख कर कभी शक की आग में जलता  है तो कभी उसके चेहरे मोहरे का  खुद से असफल मगर आशिंक मिलान करते हुए खुद को तसल्ली देते हुए किसी तरह जैसे तैसे ग्रहस्थी की गाड़ी को यही सोचते हुए इस उम्मीद में खींचता रहता है की खुदा इतना बेपरवाह नहीं हो सकता ….. अगली बार होने वाली औलाद तो यकीनन ही उससे मिलती जुलती ही पैदा होगी ….

                  और ताउम्र अपनी जिंदगी में मर्द को अपने उस सौतेले बच्चे के बारे में पता नहीं चल पाता  है …. और जब पता चलता है तो तब तक वोह बेचारा दूसरे जहान के लिए कूच कर चूका होता है ….. लेकिन कभीकभार उस बच्चे के असली बाप का पता भी चल जाता है …. जब कई बार ऐसे किसी बच्चे को बाप के द्वारा खीझकर बेरहमी से पिटने पर जब बच्चा भगवान से बहुत ही दुखी मन से और सच्चे दिल से यह फरियाद करता है की :- “हे भगवान ! मेरे पिता को उठा ले” ….. तो अगली अलसुबह को  यह देख कर बच्चा और पिता जी दोनों स्तब्ध रह जाते है की भगवान ने उस मासूम और अबोध बालक के करुण ह्रदय की पुकार को सुन कर पड़ोस में रहने वाले राजकमल को उठा लिया है …..

                         मैं भगवान का शुक्रिया अदा करता हूँ की उसने हमारे देश में दो –दो पुरुषों से प्रेम करने वाली किसी कुलटा इस्त्री को छप्पर फाड़ कर उम्मीद से दोगुणा देकर ऐसे किसी करिश्मे को अंजाम नहीं दिया है  …..

                      जय बोलो पति और प्रेमी परमेश्वर  की

(“यारो सब मिल कर यह दुआ करो और प्रयास करो की मेरे साथ भी कुदरत का कोई ऐसा करिश्मा हो जाए और अपना भी नाम सारी दुनिया में रहती दुनिया तक हो जाए”)

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