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अक्सर मैं और मेरी प्यारी तन्हाई के दुश्मन मेरे दोस्त और संगी साथी बलात्कार के मामले पर गर्मागर्म बहस किया करते है …. वोह सभी एक तरफ तो मैं बेचारा अकेला दूसरी तरफ हुआ करता हूँ ….
उनका हमेशा ही यह कहना होता है की बलात्कार ज्यादातर केसों में मर्जीकार होता है ….. जब कोई तीसरा उन दोनों के “दर्शन और दीदार” उस खास हालत में कर लेता है तो लड़की अपनी इज्जत को बचाने के लिए लड़के पर जबरदस्ती का आरोप लगा देती है तथा खुद को पाक साफ़ दिखाने के लिए चीखती और चिल्लाती है तथा अपने हिस्से का अपराध भी उस बेचारे लड़के की झोली में ज़बरदस्ती से डाल देती है …. उनका यह भी कहना होता है की किसी भी लड़की की मर्जी के बिना उससे बलात्कार करना लगभग नामुमकिन है ….. जबकि मेरा कहना और मानना होता है की अगर लड़की राज़ी न हो तो भी उसकी मर्ज़ी के बिना भी उसका बलात्कार संभव है …….
अब अपनी इस बात को सही साबित करने के लिए मैंने सोचा है की मैं भी किसी योग्य और काबिल नारी का बलात्कार कर ही डालूं ….. लेकिन इस मामले में मेरे कुछेक असूल तथा आदर्श है :-
यहाँ तक तो सब कुछ ठीक है , लेकिन इसके इलावा भी मेरे मन में कुछेक पवित्र विचार उठा करते है …. मुझे यह देख और सुन कर बहुत ही दुःख पहुँचता है तथा मन को ठेस भी लगती है जब यह खबर आती है कि :-
“रंगरलिया मनाते प्रेमी जोड़े काबू” + या फिर “रंगरलिया मनाने की तैयारी करते दो महिलाए तथा चार पुरुष धरे गए”
यकीं मानिए की अगर मैं पुलिस आफिसर होता तो बड़ी ही शराफत से पूछता की (बहिन जी +भाई साहिब ) हम और कितनी देर आपका बाहर इंतज़ार करे …. लेकिन यह मरदूद पुलिस वाले ! पता नहीं इनको किसी को उस खास हालत में देख कर क्या हासिल होता है ? ….. कोई इनके सामने शर्मिंदा हो तो शायद इनका अहम तुष्ट होता है ….. लेकिन हम जनता-जनार्दन ने आखिर इनका क्या बिगाड़ा है …. हमे इस अनोखे अनुभव से वंचित करके आखिर किस अपराध की सजा प्रदान की जाती है …. सुबह के अखबार में जब हम यह गोल – मोल खबर पढते है की शहर के नामी गिरामी रईसों के साहिबजादे और साहिबजादिया आपतिजनक हालत में गिरफ्तार और फिर उपरी दबाव पढ़ने पर बाइज्जत रिहा तो खुद को ठगा हुआ सा तथा लुटा पीटा महसूस करते है ….
अब तो आप दुआ कीजिये कि मैं जिस मिशन पर निकलने वाला हूँ उसमे शत प्रतिशत सफल ही होऊ ….. ताकि मेरी अपने दोस्तों के सामने इज्जत बनी रहे तथा मैं अपनी इस बात को सही साबित कर पाऊं की बलात्कार वास्तव में ही बलात्कार ही होता है ना की मर्जिकार …..
एक असली मर्द
भविष्य का मर्जिकारी कम बलात्कारी
राजकमल शर्मा
( “बचना ऐ हसीनो ! लो मैं आ गया” )
राजकमलिया टिप्स :-
*अगर आपकी आँखों में कम्प्युटर पर ज्यादा देर तक काम करने से कोई दिक्कत है तो आप किसी भी कम्पनी के ठन्डे तेल को उंगलियो के पोरों पर लगा कर अपनी पलकों के उपर तथा नीचे कुछ इस तरह की कोशिश करते हुए लगाए की उसकी कुछेक मात्रा आँखों में चली जाए
*अगर कम्प्यूटर पर काम करते हुए आपकी बाजु में दर्द होता है तो हमेशा इस बात का ध्यान रखे की आपकी कोहनी तक का बाजू का ज्यादातर हिस्सा काम करते वक्त हमेशा ही मेज को छूता रहे
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