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“जय बोलो बेईमान (स्वामी रामकमल देव जी ) की”

RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
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आज स्वामी राजकमल जी के हर्ष का पारावार नहीं था ….. होता भी क्यों ना ? आखिर बात ही कुछ ऐसी थी ….. आज उनकी बरसो की साध जो पूरी हुई थी …. आज उनको जागरण नगर में अपने प्रवचन करने का चिर प्रतीक्षित बुलावा मिल गया था , उनके सेक्रटरी भर्मर जी की कोशिशे रंग जो ले आई थी ….
शाम के प्रवचन के बाद अपने अति आधुनिक गोपनीय कक्ष में भर्मर जी के साथ स्वामी राजकमल जी की अति महत्वपूर्ण मंत्रणा कुछ इस प्रकार चल रही थी :-
स्वामी रामकमल देव :– भर्मर जी जरा विस्तार से हमको बताईये की आपकी जागरण नगर में आयोजन के लिए प्रबंधकों से क्या -२ डील हुई है ….

बाबा भर्मर देव :– महाराज उन्होंने कथा +सत्संग तथा कीर्तन के लिए आपकी दो लाख की डिमाण्ड की बजाय सिर्फ एक लाख देना ही मन्जूर किया है …..
स्वामी रामकमल देव :– (मुंह बिसूरते हुए तनिक गुस्से तथा खीझ से ) तो फिर आप उनसे कह दीजिए की हम वहां पर अपना “प्रोग्राम” नहीं करेंगे …..
बाबा भर्मर देव :- स्वामी जी आप यह कैसा अनर्थ करने जा रहे है + आखिर क्यों अपने ही पांवों पर कुल्हाड़ी मारने जा रहे है ? ….. जागरण नगर में प्रोग्राम करने वाले तो खुद उनको पैसे देते है …. जो एक बार वहां पर प्रोग्राम कर लेता है , उसको नाम + दाम +काम तथा शौहरत आशातीत मिलने लग जाती है , पूरी दुनिया में नाम अलग से होता है ….. इसलिए मैं तो यही सलाह दूँगा की आप इतने में ही राज़ी हो जाईये ….. बाकि के एक लाख का भी मैं आपका होनहार शिष्य कम पार्टनर कोई ना कोई तोड़ जरूर निकाल ही लूँगा ,यह मेरा आपसे वादा है ….
स्वामी रामकमल देव :- चलिए आपके वादे पर एतबार करते हुए हम यह घाटा भी उठाने को तैयार है , वैसे हमे आप पर पूरा भरौसा है की आप इसकी भरपाई जरूर करवा ही देंगे … अच्छा तो बाकी के इंतजामात के बारे में भी कुछ बतलाये ….
बाबा भर्मर देव :–महाराज आपके भजनों की सी.डी.+ डी.वी डी + कथा साहित्य के स्टाल के लिए शहर के नामी गिरामी व्यापारिक घराने प्रयोजक के तौर पर मिल गए है ….
स्वामी राजकमल :- आपने हमारे मुख्य काम के बारे में तो कुछ बताया ही नहीं , जिसके बारे में जानने के लिए हम अति उत्सुक है ….
बाबा भर्मर देव :- महाराज उसकी भी पूरी व्यवस्था हो चुकी है ….
स्वामी रामकमल देव :- लेकिन गोपनीयता का पूरा -२ ख्याल और ध्यान रहे ….
बाबा भर्मर देव :- जी महाराज आप बिलकुल भी चिंता ना करे , किसी फ़ालतू और ऐरे गैरे-नत्थू खैरे को कानो कान भी खबर नहीं होगी …. पुलिस वालों को उनका हिस्सा एडवांस में पहुंचा दिया गया है …..
हमारे ट्रक लंगर के सामान की आढ़ में वहां पर पहुँच चुके है ….. शहर की सभी क्रीमी लेयर से “एक के तीन” की रेशो में कांटेक्ट हो चुका है …..सभी को उनके गुप्त कोड नम्बर बता दिए गए है …..
स्वामी रामकमल देव :– लेकिन कल को कहीं सरकार और मीडिया का ध्यान इस और चला गया की जिस भी शहर में हमारा प्रोग्राम होता है वहीं पर ऐसे सामान की बाढ़ आ जाती है तो फिर हम तो शक के घेरे में आ जायेंगे और हमारे लिए तो मुसीबत खड़ी जायेगी ….. उसके लिए आप ऐसा कीजिये की हमारे हरेक प्रोग्राम के बाद उस शहर में यह अफवाह फैला दिया करे की पड़ोसी मुल्क हमारी अर्थव्यवस्था को तबाह करने के लिए यह सब सामान भेज रहा है …..
बाबा भर्मर देव :- लेकिन महाराज ! हम अपने सद्कर्मो के लिए उस बेचारे पाक को नापाक काहे को करे ?
स्वामी रामकमल देव :- हमको एक बात बताओ की तुम हमारे एजेंट हो या फिर उस पाक के ? इसलिए जैसा हम कहते है बिलकुल वैसा ही करो …..
बाबा भर्मर देव :- सभी मुख्य अमीर लोगों को हमारे आश्रम तथा ट्रस्ट की रसीद बुके थमा दी गई है …..
स्वामी रामकमल देव :– ( बीच में ही टोकते हुए ) क्या आपने उनको कह दिया था की कोई भी रसीद ग्यारह हज़ार से कम की नहीं काटनी है ….. जो शहर के जाने माने धन्ना सेठ है उनकी रसीद इक्यावन हज़ार से कम किसी भी कीमत में नहीं काटनी है , आप इसके बदले में उनको हमारे पन्द्रह सौ की कीमत वाले चालीस वी.आई.पी. पास तथा एक एक खाली रसीद बुक थमा दीजिए …..
बाबा भर्मर देव :- महाराज ! क्या आपने मुझको इतना जाहिल समझ लिया है …. मुझसे ऐसी चूक हो सकती है कहीं भला ? …..
स्वामी रामकमल देव :– जब सभी बंदोबस्त हो ही चुके है + सारी सैटिंग भी हो चुकी है तो फिर देरी किस बात की …. आप कल ही जागरण नगर में जाकर हमारे आने तक सभी इंतजामात अपनी खुद की देख रेख में पुख्ता और सालिड प्रूफ होना यकीनी बनाए …. यहाँ के आश्रम के इंतजाम तब तक आदरणीय शाही जी देख लेंगे …..
और हाँ जागरण नगर के हमारे प्रवचन के बाद हमारा अगला टूर स्विटजरलैंड का बनाइएगा ….. एक तो यहाँ पर गर्मी बहुत ज्यादा है –इसी बहाने ठन्डे मुल्क में घूमना फिरना हो जाएगा + दूसरा हम अपने विदेशी भक्तो से डालर तथा पाउण्ड भी ना केवल इकट्ठा कर लेंगे , बल्कि यहाँ से प्राप्त धन को भी वहां के बैंक में सुरक्षित रूप से जमा करवा देंगे …..
बाबा भर्मर देव :- महाराज एक और खुशखबरी है आपके लिए , सत्ताधारी पार्टी के मुखिया से हमारी बात चल रही है ….. बस एक बार वोह बातचीत सिरे चढ़ जाए तो फिर आपको , आपके ऊपर चल रहे सभी केसों से भी राहत मिल जायेगी …..
स्वामी राजकमल देव :- भर्मर जी आप भी ना हमारे शिष्य होकर कैसी मूर्खता भरी बाते करते है ….. जरा हवा का रुख देख कर बात किया कीजिये , इस बार अगली सरकार विपक्ष की बनेगी , इसलिए आप सत्ता पक्ष से नहीं बल्कि विपक्ष संग अपनी गोटिया फिट कीजिये …..
स्वामी भर्मर देव :- (अपने महाराज का मूड कुछ अच्छा जान कर बोले) महाराज मेरे मन में एक शंका उठ रही है किरपा करके उसका समाधान करे की आपके इस गुप्त कक्ष के भीतर भी जो एक गुप्त कक्ष है उसमे रखा अथाह सोना चांदी और जवाहरात आखिर किस काम के ? अगर हम उनको किसी बैंक में जमा करवा दे तो उससे प्राप्त करोड़ो रूपये महीने के ब्याज से ही हम कितने ही मानवता की भलाई के काम कर सकते है ….
स्वामी रामकमल देव :- भर्मर जी इसमें भी एक राज की बात है …. हम अपने पिछले जन्म में मिस्र के राजा तुतनखामन थे , कुछ खोजी जालिम खोजियों ने हमारे मकबरे को खोज कर + खोद कर उसमे रखी सारी अकूत सम्पदा निकाल ली …. उसी के कारण हमे उपर स्वर्ग में स्वर्ण जड़ित महल मिला हुआ था ….. अब हमने अपने स्वर्ग के उसी पुराने वैभव को पाने के लिए इस रूप में जन्म लिया है …..
भर्मर जी आश्वश्त होकर अपनी मुंडी हिलाने लगे ….. और स्वामी रामकमल देव जी अपने मन ही मन में सोच रहे थे की शुक्र है की मैंने इस मूर्ख को अपने “हार्ड- कैश” का राज़दार नहीं है बनाया , नहीं तो इस उल्लू को उसके बारे में समझाना नामुमकिन हो जाता …..
बाबा भर्मर देव :- महाराज ! कुछेक शहरों में लोग हमारे द्वारा आश्रमों के लिए हथिआई हुई जमीन को वापिस पाने के लिए आवाज उठा रहे है …..
स्वामी रामकमल देव :- भर्मर जी ! आप भी ना निरे बुद्धू है …. आप उनको समझाइये की जो हमको इस धरती पर जितनी अपनी जमीन देगा , उसको उपर स्वर्ग में उतनी ही जमीन मिलेगी …..
भर्मर देव :- महाराज ! अगर ऐसी बात है तो फिर तो मैं भी आपके नाम अपना वोह जमीन का टुकड़ा कर देता हूँ जोकि मैंने अपनी कविताओ के प्रकाशित संग्रह की कमाई से खरीदा था …..
बाबा रामकमल देव :– अच्छा , ठीक है ! ठीक है ! फिलहाल आप प्रस्थान कीजिये , और हाँ जाते जाते एक मुख्य काम भी कर ही दीजियेगा ….. हमारे आश्रम में जो वोह सुन्दर सी नाबालिग बाला अभी पिछले दिनों ही आई है – जिसके आगे पीछे कोई नहीं है , जो भगवान के बाद सिर्फ हमे ही अपना सब कुछ मानती है ….. उसके हाथ सिरदर्द की गोली तथा बाम भिजवा दीजियेगा ….. वोह अपने नरम और नाजुक हाथों से मालिश करेगी + हमारे सिर को दबाएगी तो ना केवल हमे सकूं मिलेगा बल्कि उसकी मुक्ति का मार्ग भी प्रशस्त होगा ….. और हाँ जाते जाते डी.वी.डी. प्लेयर में “धार्मिक सीडी” लगा कर म्यूट कर दीजियेगा …..
और स्वामी रामकमल देव जी “मुन्नी बदनाम हुई बाबा रामकमल तेरे लिए” गुनगुनाते हुए अपनी चरणाम्रत की बोतल खोल कर मुन्नी के आने का इंतज़ार करने लग गए थे …..
अच्छा शुभ रात्रि

कहत कबीर सुनो भाई साधो बात कहूँ मैं खरी – २

की दुनिया एक नम्बरी तो मैं दस नम्बरी
स्वामी रामकमल शर्मा
नोट :-
*इतनी खासियतों तथा गुणों से युक्त किसी सिद्ध पुरुष का इस धरती पर मिलना लगभग नामुमकिन है , किसी से कोई समानता भूलवश + सयोंगवश ही हो सकती है
*उपर्लिखित कथा वार्तालाप बिलकुल काल्पनिक है , इसका किसी भी जीवित या म्रत व्यक्ति से कोई भी सम्बन्ध नहीं है …..

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