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“नामाकूल-नामुराद-पाजी ब्लागर ‘india-321’ द्वारा ‘दिव्या बहन’ की रचना की चोरी”

RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
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यह तो आप जानते ही है की मैं इस मंच का वन मैंन पुलिस थाने का बिना वर्दी वाला गुंडा यानी की पुलिस वाला हूँ ….. मेरे ड्यूटी पर रहते इस मंच पर जितनी भी चोरी – चकारी की घटनाएं घटी उन सभी के गुनहगारों को मैंने आप सभी स्नेही सज्जनों के अतुलनीय सहयोग से उपयुक्त सजा दिलवाकर केस को दाखिल दफ्तर कर दिया है …..  मुझको एक  बात का गर्व है और रहेगा और इसी खासियत के कारण मैंने अपना यह तकिया कलाम भी रख लिया है कि :- “जुर्म यहाँ पर केवल इसलिए ही नहीं कम है क्योंकि जागरण जंक्शन पर हम है , बल्कि इसलिए भी कम है  कि हममे दस का दम है” …..

                     जिस प्रकार हरेक दुकानदार की तरह एक डाक्टर भी आपने भगवान जी के सामने धुप दीप और अगरबत्ती जलाता है और प्रार्थना करता है की ,  हे भगवन ! मेरे क्लीनिक में ग्राहक निरंतर आते रहे …. ठीक उसी प्रकार एक पुलिस वाला भी मेरी तरह अपने प्यारे प्रभु से यही दुआ करता है की ,  हे अल्लाह ! मेरे पाक परवरदिगार ! मेरे थाने का रोजनामचा हमेशा ही हर भरा रहे ….. अब यह तो जग जाहिर सी बात है की अगर लोग किसी न किसी बिमारी से ग्रसित होंगे तभी तो डाक्टर के पास अपने -२ इलाज के लिए जायेंगे …. कुछ इसी प्रकार अगर मेरे इलाके में कोई न कोई घटना घटित होती रहेगी तभी तो उसकी रपट मेरे थाणे में दर्ज होगी …… और अगर कोई अपराध ही नहीं होगा तो फिर हमारा थाना खोल कर बैठने का क्या काम ? …..

                   मैं जोकि  भगवान जी से किसी घटना के घटित होने की दिन रात  दुआ माँगा करता था , लेकिन कुदरत का अजब खेल देखिये की जब घटना घटी तो उसकी खुशी होने की  बजाय मुझको बहुत ही दुःख हुआ ….. किस्सा कुछ इस तरह है कि मैं वैसे तो हर रोज अपनी रूटीन गश्त पर निकला करता हूँ , लेकिन 22  अप्रैल के दिन अपनी अंतरात्मा कि आवाज पर मैंने गश्त करने की  बजाय नाका लगा कर बैठने की  ठानी …… अभी मुझको थोड़ी देर ही हुई थी की  तभी सामने से एक नई नवेली शोरूम से निकली गाड़ी  ‘INDIA – 321’  आती हुई दिखाई दी ….. शक पड़ने के कारण जब  मैंने उसको तलाशी के लिए रोका तो उसकी डिग्गी में से एक बला की  हसीन और मासूम सी लड़की दिखाई दी …. उसके हाथ और पैर बंधे हुए थे , तथा वोह बेचारी डरी  और सहमी हुई धीरे -२ सिसकियां ले रही थी ….. मैंने तुरन्त उसके मुहं में ठुसा हुआ कपड़ा हटाया तथा उसके हाथो और पैरों के बन्धन वाहिद काशीवासी जी से खुलवा कर उसको आज़ाद करवाया ….. वैसे तो हमारे साथ प्रिय अबोध बालक जी भी थे , लेकिन वोह डिग्गी की  चैकिंग से पहले ही हमारे आई .जी. साहिब का फोन आने पर किसी जरूरी काम से  दूसरे इलाके में चले गए थे , इसलिए अबोध जी को उस पाजी की करतूत का  बिलकुल भी ज्ञान  नहीं है तथा वोह उसको अभी तलक हमारे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की तरह पाक और साफ़ समझते है …..

                                    अब आज़ाद होने के बाद मैंने उस मासूम सी लड़की को जरा ध्यान से देखा तो पाया तो खुद पर लानत डाली कि अरे घोंचू राम ! तू पहले क्यों नहीं समझ पाया की  यह तो हमारी ब्लोगर  बहन   “DIVYA – 81”   की   (“तू कितनी प्यारी है – तू कितनी भोली है –माँ”)  कविता नामक बिटिया है ….. खैर मैं तो उस कविता को दिव्या बहन को ससम्मान उनकी बिछड़ी हुई बेटी से मिलाने  के लिए ले गया , और मेरे पीछे वाहिद काशीवासी जी ने जम कर उस पाजी कि ऐसी खबर ली कि उस मनहूस को अपनी पड़नानी याद आ गई होगी , तथा अगर उसको जरा सी भी शर्मो हया होगी तो भविष्य में खुद तो क्या उसकी आने वाली सात पीढ़िया भी चोरी जैसा घटिया और नीच कर्म नहीं करेगी …..    

          

नोट :- हमारी अब तक की उपल्बधिया निम्नलिखित है :-

*अदिति जी की रचना को जोनपुर वाले मुकेश के कब्ज़े से छुड़वाना    ( मुद्दई चुस्त और गवाह भी चुस्त )

*सचिन भाई की रचना को उसी चोर मुकेश से छुड़वाना              ( मुद्दई सुप्त   और गवाह चुस्त  )

*आदरणीय खुराना चाचा जी की रचना लाल किताब के सिद्ध टोटके      (मुद्दई जागरूक तथा गवाह चुस्त )

 जोकि उस रचना पर लाल किताब का टोटका न होने की वजह से

चोरी चली गई थी को छुडवाना

*इस मंच के आदरणीय राजीव तनेजा के वयंग्य को चोर से छुड़वाना    (  मुद्दई जागरूक तथा गवाह चुस्त)

*दिव्या बहन की कविता को इस पाजी से छुड़वाना                    (मुद्दई सुप्त   और गवाह चुस्त   )

            हमारे उपरलिखित कारनामों की रौशनी में आप सभी का यह फ़र्ज़ बनता है की हमारा नाम भारत रत्न के लिए तजवीज करे …… वैसे भी यह सरकार का फ़र्ज़ बनता है की वोह हमको इस पुरस्कार से नवाजकर अपनी आत्मा पर पड़े हुए असंख्य पापों के बोझों को किसी हद तक  तो कम कर ही सकती है …….

                               अगर आपको भविष्य में किसी भी किस्म की कोई मदद की जरूरत आन  पड़े तो आप हमारे 24 * 7  टोल फ्री नम्बर 9876543210पर हमसे सिर्फ रात के बारह  बजे तक ही बात कर सकते है ….. क्योंकि हम सारा दिन मटरगश्ती करके बेइंतहा थक जाते है इसलिए हमारी थानेदारनी मधु हमे नींद की गोली खिला कर सुला देती है …… उसके बाद आप उसको अपनी शिकायत लिखवा सकते है लेकिन तब वोह नम्बर टोल फ्री नही होता और उस पर अंतर्राष्ट्रीय दरे लागू होती है ….

             अंत में यही कहूँगा कि

                                  “किसी भी चोर का जिंदा कभी भी जमीर नहीं होता

                                  चाहे कर ले कितनी ही चोरियां कभी भी वोह आमिर नहीं होता”    

मैं यही उम्मीद करता हूँ कि हमारी इस कारवाई से भविष्य के चोर कोई सबक लेंगे और  इस मंच कि मर्यादा को कायम रखेंगे तथा मेरे थाने का रिकार्ड साफ़ सुथरा रखने में मेरी मदद करेंगे …… वर्ना न तो मैं कहीं गया हूँ और न ही मेरा डंडा ‘आन मिलो सजना’ कही गया है …… पढ़ाई में अंडा खाने  वाले बेशर्म चोर महाशय मेरा डंडा खाने से परहेज ही करे तो ही उनकी सेहत के लिए अच्छा होगा ……

                          बिना वर्दी वाला पुलिस वाला गुंडा –  चलता है जिसका अपराधियों पर डंडा

                          राजकमल शर्मा (एनकाउंटर स्पेशलिस्ट )

                          ‘दया नायक’ नहीं बल्कि “बेरहम खलनायक”      

(बेशक उस नामाकूल ने वोह चोरी वाली पोस्ट खत्म कर दी है – लेकिन चूँकि अभी तक उसने माफ़ी नहीं मांगी है इसलिए उस बेशर्म के लिए हमको यह कदम उठाना पड़ा )          

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