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“जब एक पुरुष ने की औरतों की बराबरी”

RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
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दोस्तों पश्चिम बंगाल के नॉर्थ 24 परगना के रहने वाले एक शख्स दुलाल बैद्या के बारे में एक अजीबो गरीब समाचार पढ़ने को मिला की जनाब अपनी पहले से ही विवाहित छह पत्नियों को छोड़ कर अपनी सातवी नयी नवेली दुल्हन के साथ फरार हो गए है …..
वाह ! क्या नसीब पाया है ससुरे ने …. यहाँ यार लोग एक अदद बीवी को तरस रहे है ….. और वहां पर वोह पाज़ी पहले की छह बीवियों को बर्बाद करने के बाद सातवी बीवी के साथ अपनी गृहस्थी आबाद करने चला है …..
दोस्तों इसमें हमारा कोई कसूर नहीं है , सारे का सारा कसूर भगवान जी का ही है …. ना वोह उसको इतने आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी बनाते , ना यह सारा पंगेबाजी होती ….. कहाँ तो हम सुना करते थे की भगवान द्वारा प्रदत सुंदरता रूपी उपहार का कुछ मह्त्वाकांशी लड़किया नाजायज फायदा उठाकर अमीर लोगों को अपने रूप जाल में फांस कर उनको मुर्ख बना कर अपना उल्लू सीधा किया करती है …. सच बतलाऊं की इस प्रकार की खबरे सुन कर हमारा सिर शर्म से झुक जाया करता था ….
नहीं – नहीं आप गलत समझ रहे है मुझको , ऐसी कोई भी बात नही है …. दरअसल हमारा सिर तो इसलिए शर्म से झुक जाया करता था कि माना की हम तो सूरत और सीरत से गए गुजरे है ….. क्या ? भगवान ! ने पुरुषों में कोई भी इतना हैंडसम नही बनाया है जो की औरतों के इस एकाधिकार को तोड़ सके …. यह तो हमारा दिल ही जानता है की जब हमने यह खबर सुनी तो हमको कितनी बेइंतहा खुशी हुई थी ….. शुक्र है की किसी ने तो पुरुषों का भी इस फील्ड में दाखिला तो करवाया …..
अब आज के बाद किसी भी महिला के द्वारा अपनी सुंदरता को चारा बना कर पुरुष रूपी जानवर को अपने खूंटे से बाँधने की खबर से हमारे दिल में कोई भी आग नहीं लगेगी …. बल्कि उसकी बजाय मन को सकूँ मिलेगा की इस दुनिया में कोई तो है जिसने पुरुष जाति की लाज रख कर ली , उसी महान पुण्यात्मा के कारण ही तो सारी पुरुष जाति का सिर गर्व से ऊँचा हो गया है ….. आज जब नारिआ यह कहते नहीं थकती की हम पुरुषों की बराबरी करेंगी तो पुरुषों को भी पूरा -२ हक पहुँचता है की वोह कम से कम इस मामले में तो नारियों की बराबरी करे …..
पट्ठे ने ऐसा बदला लिया है की हमारा जो सीना जिम में जाकर आधा इंच चौड़ा नही हुआ था वोह इस खबर को सुन कर गर्व से चौड़ा हो कर गज भर का हो गया है …. आप को यह जान कर और भी खुशी होगी की वोह थोड़ी उम्रदराज और कमाने वाली कामकाजी लड़कियों के सामने खुद को एक ऐसे आदमी के रूप में पेश करता था जो कि दुनिया की गलाकाट रेस में राजकमल की तरह काफी पीछे छूट गया है ….. इससे वोह ना केवल उससे सहानभूति जताते हुए धीरे -२ शादी की स्टेज तक पहुँच जाती थी बल्कि उसको पाकेट मनी भी देती थी ……
कौन कहता है की आजकल के महंगाई के जमाने में एक आदमी एक बीवी तक को नहीं पाल सकता है …. अजी साहब अगर किसी भी व्यक्ति में श्रीमान दुलाल बैद्या जैसी कुदरत प्रदत खासियतें हो तो वोह एक तो क्या सात -२ बीवियों तक को भी पाल सकता है …..
वैसे उसने अपने कर्मो से अपने नाम को ही तो सार्थक किया है ….. दुलाल मियां अगर किसी कोठे पर दलाली करते तो दूसरों के लिए लड़किया फंसाते , लेकिन उसकी बजाय उन्होंने अपने लिए ही लड़किया फंसा कर बहुत ही समझदारी और अक्लमंदी का काम किया है ….. ‘नेकी कर और कुएं में डाल’ (कोठे में डाल डाल )वाली कहावत को उन्होंने ‘नेकी कर और अपने ही घर में डाल’ में बदल डाला है …… जिन अविवाहित उम्रदराज़ कामकाजी लड़कियों को एक अदद पति की चाहत मन में रहती है , उन पीड़ित लड़कियों के लिए एक बहुत ही अच्छे और कारगर वैध का काम करता था वोह दुलाल ‘बैद्या’……

मियां जी खुद तो अब अपनी नई नवेली सातवीं बीवी संग ऐश कर रहे है क्योंकि वोह उनके इस रंगीन और सुखद अतीत से अपरिचित है लेकिन अब उनकी बाकी की छह बीवियां उस मुए दुलाल को छोड़ कर किसी और शख्स का दामन थाम कर अपनी नयी जिंदगी की शुरुआत तो कर सकती है कम से कम …… उनको ना समाज ठुकराएगा , और ना ही उनके घरवाले …. किसी पर बोझ बनने का तो कोई डर ही नही ….. यह माना कि उनके ‘चरण’ थोड़ा सा रूमानी होकर बहके हुए है लेकिन सभी अपने पैरों पर भी तो खड़ी है यारों ! ….. और उनको भटकी हुई तो कदापि नही कह सकते , लेकिन फिर भी आगे बढ़कर उनका हाथ जिन्दगी भर के लिए पकडकर उनको रास्ता तो दिखाना ही पड़ेगा ना …..
तो दोस्तों आज मैं सिर्फ छह ब्लागरों से उन कमाऊ बीवियों के लिए आपके हाथ मांगता हूँ ….. उम्मीद करता हूँ कि आप लोग मुझको निराश नही करेंगे …. इसकी बजाय आप बढ़ चढ़ कर इस दावेदारी कम जिम्मेवारी को बिलकुल उसी प्रकार कबूल करेंगे , जिस प्रकार आपने वैलेन्टाइन कांटेस्ट में हिस्सा लिया था ……
( नोट :- जिन्होंने कांटेस्ट में हिस्सा नही लिया था वोह सज्जन भी इसमें भाग ले सकते है )

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