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“क्या ? वोह प्यार पिछले जन्म का था – Valentine Contest”

RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
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छठी क्लास में पड़ते हुए एक कसबे से उस शहर में आने का हमारा पहला दिन था जब मेरे डैडी ने मुझे अपने सामान से भरे हुए ट्रक और टेम्पू को देखने के लिए उस नए मोहल्ले की गली के मौड़ पर खड़ा कर दिया था …. जाने क्या था उस कोठी में की मुझको तों पसीने आने लग गए और एक अजीब सी बेचैनी और घबराहट होने लगी …… अगर सच्चाई बयान करूं तो उस एहसास को में शब्दों में नही उतार सकता … में जब भी उस कोठी से आगे या पीछे जाऊ तो में फिर से नार्मल हो जाऊँ … खैर बाद में मैने देखा की उस घर में वोह चार बहने थी … तो अब मुझको यह पता करना था की उन बीच वाली दो बहनों में से ‘वोह’ कौन है जिस को मैने बिना देखे कुदरत की किसी शक्ति के अधीन प्यार किया , जल्दी ही उसका भी पता चल गया ….
मेरे डैडी ने पहले ही दिन कहा की “बेटा राजकमल गली की सब लड़किया बहनों के समान होती है” …मैने अपनी मम्मी से पूछा की , ऐसा क्यों ?….. तो उन्होंने बताया की , क्योंकि उनको हम अपने घरों में माता की कंजक मान कर पूजा करते है, माथे पर टीका करते है, पैरों को धोकर हाथ लगाते है …. अपनी माता श्री से यह ज्ञान प्राप्प्त करने के बाद मैने उसकी सब से छोटी बहिन को कभी भी नवरात्रों में अपने घर में नहीं बुलाया … उसके घर से पहले ही क्योंकि गली मुड़ जाती थी इसलिए में अपने मन को समझाया करता था की यह किसी भी लिहाज से मेरी बहिन नहीं हो सकती है क्योंकि उसके घर से पहले ही दूसरा मोहल्ला जो शुरू हो जाता है ..… गली के सभी लड़के और लड़किया एक खेल खेला करते थे , जिस में विष -अमृत और ब्रदर-सिस्टर कहना पड़ता था … तो मैने उस खेल से बचने के लिए पहले ही दिन से बाकि सभी खेल भी खेलने छोड़ दिए सिवाय क्रिकेट के ….
चाहे हमने एक दूसरे से अपने -२ प्यार का इज़हार नहीं किया था …… लेकिन दोस्तों प्यार की तो अपनी अलग ही भाषा होती है, अपनी अलग ही महक होती है ….. हमारे हाव – भाव को देख कर लोग बाग सब समझते थे ..… हमारी गली में एक गुंडा भी था हमारा ही हम उम्र … वोह उस बेचारी को आते जाते हुए बहुत ही तंग किया करता था …. में भी आखिर कब तक सहन करता … अंत में एक दिन हमारी उसको लेकर तकरार हुई और हम दोनों बुरी तरह से उलझ पड़े ..… तब दोस्तों ने हमें अलग-२ कर बीच -बचाव किया ….. मैने उसको जब गिरा लिया जिसकी की किसी को भी उम्मीद नहीं थी तो सभी कहने लगे की अरे ! अगर राजकमल इसको गिरा सकता है तो हम भी कर सकते है ….. वोह असंभव काम प्रेम की ताकत से हुआ था … उस मवाली लड़के के दो नाम थे ….. उसके चमचे उसको नरिंदर और में उसको नंदा कहता था …… खैर इसके बाद वोह मेरा भी अच्छा दोस्त बन गया …. और में मूक सर्वसम्मति से हो गया उसका उसका आशिक ….
दसवी में पड़ते हुए उस ने एक लड़की जो की सारे मोहल्ले की ” दीदी ” थी को मेरे पास यह पैगाम देकर भेजा की एक लड़की तेरे को पसंद करती है … चाहे नाम उसने नहीं बताया था लेकिन फिर भी में समझ गया था की उसके इलावा कोई और तो हो ही नहीं सकती है …. मैने उस ‘दीदी’ से कहा की मुझको सोचने के लिए 15 दिन का समय चाहिए … वोह हंस कर कहने लगी की अरे बुद्धू ! तुमको इश्क करने में भी सोचने का समय चाहिए …. में बोला की हां मुझे 15 दिन का समय चाहिए …. वोह फिर आने का कह कर चली गई …. में अपने घर में आया तो देखा की मेरी माँ कपडे धो रही थी …. मुझे अपना घर बड़ा ही अजीब सा लग रहा था …. सारा समान घटिया और बेतरतीब सा लग रहा था .… ऐसा लग रहा था की जेसे में अपने घर में नही नहीं बल्कि किसी और के घर में आ गया हू ….

में सोचने लगा की हम सभी इतनी ठण्ड में रजाई में दुबके पड़े रहते है …. मेरी माँ पानी में भीगते हुए भी सारे काम किया करती है …. और वोह इतने बड़े घर की फैशनेबल बेटी जो की कूड़े के ढेर के पास भी खड़ी हो जाये तो उसमे से भी इत्र की खुशबु आने लग जाये …… वोह मेरे साथ इस छोटे से घर में किस प्रकार रहेगी , क्या वोह मेरे माँ बाप का इतना आदर करेगी जितना की मैं उससे उम्मीद करूँगा ?.… क्या वोह हमारे घर में खुद को अडजस्ट कर पाएगी और हम सभी के साथ ही रहना पसंद करेगी ?…… क्या में पढ़ाई के बाद नोकरी कर के इतना कमा पाउँगा की उसकी सारी ज़रुरते और फैशन पूरे कर सकूँ ?…… अभी तो उस नवाबजादी ने सिर्फ प्रेम का इज़हार ही किया है तो मुझे अपना घर और घर के लोग पराये से लगने लगे है … अगर अब यह हाल है तों फिर बाद में क्या होगा ? …..
फिर मैने अपने आस पास का माहौल देखा तो पाया की जो भी लड़का किसी लड़की के प्रेम में पड़ा हुआ था , उसकी बहिन भी किसी न किसी के प्रेम के चक्कर में ज़रूर पड़ी हुई थी ..… यह सोच कर ही मेरी रूह काँप कर रह गयी की मेरी बहिन किसी को प्रेम करेगी … जब मैं खुद किसी की लड़की के प्रेम में पड़ा हूँगा तों मैं जब अपनी बहन को रोकूँगा तो नैतिक रूप से उस पर गहरे से मेरी किसी भी बात का कोई असर नहीं होगा ….. यह सब सोच कर मैने अपने पांव पीछे खीच लिए ..…हाय री किस्मत ! हमने तो प्यार भी ‘सोच –समझ’ कर नहीं किया ..… काश की मैने अपनी बहिन के बारे में इतनी गहराई न सोचा होता तो आज हमारा मुकाम कुछ और ही होता ….. क्योंकि प्यार आदम का ना केवल रहन सहन बल्कि सोचने का स्तर और नजरिया भी बदल कर रख देता है …
लेकिन दोस्तों वोह लड़की भी हार मानने वालों में से नही थी …. फिर उसने अपनी बड़ी बहिन को कहा तो उस ने एक दिन मुझको रास्ते में रोक कर पूछा की तेरे दसवी के रिसल्ट में क्या पोजीशन आई है ..… में उसको पहली पोजीशन बता कर, बिना पीछे मुड़े और देखे ऐसे सिर पर पाँव रख कर भागा जेसे की मेरे पीछे भूत लगे हुए हो …. इसके बाद उस ने अपनी माँ से कहा तो वोह मेरी माँ के पास आई की आप यहाँ से अपना मकान बदल लो …. आपके बच्चे शरीफ है कही ऐसा न हो को वोह यहाँ पर रहकर बिगड़ जाये ….. मेरी माँ तो उस की बातो में आ गई …. तब मैने अपनी माँ से कहा की हम तो किराये के मकान में रहते है और हमने एक न एक दिन तो चले ही जाना है … और में तो आपका बेटा हू लेकिन इनकी तो बेटिया है , क्या वोह नहीं बिगड़ेगी …. यह क्यों नहीं अपनी कोठी बेच कर कही और चले जाते ….. तो दोस्तों जो बात हमारी प्रेम कहानी के परवान चढ़ने के बाद होनो थी वोह उस के शुरू होने से पहले ही हो गई …
खैर बाद में तों हालात कुछ ऐसे बने की हम दूसरे मोहल्ले में चले गए ..… वहाँ भी वोह ” दीदी ” आई उसी लड़की का फिर से पैगाम लेकर … और इस बार भी पहले की ही तरह मैंने उसको बैरंग वापिस लौटा दिया क्योंकि मुझ ‘कायर’ को तो प्यार नहीं करना था …. आज सोचता हू तो अपने पर लॉनत डालता हू की भगवान भी क्या सोचता होगा , की मैने राजकमल को इसके पिछले जनम का प्यार दिया था तभी तो उस लड़की को बिना देखे ही उसके घर के सामने खड़े होने पर ही उससे प्यार को इसने महसूस किया था …तों क्या अब इसको फिर से एक और जनम दू ? , इस जनम का अधूरा प्यार पूरा करने के लिए ……
अब अगर उस लड़की की तरफ से मुझे कोई शेयर कहना पड़े तो यही कह सकता हू कि :-
“हमने तों तुमको दिल दिया था अपना पहले से ही तोड़ कर .
की रख लो इसको अपने पास जी चाहे जेसे जोड़ कर ….
जब तक जी चाहे इस से खेलना दिल बहला लेना ,
और फिर हमी को मोड़ देना फिर से तोड़ कर …..

राजकमल शर्मा

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