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“लाल चौंक कश्मीर में ही नही पूरे भारत में है”

RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
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A दोस्तों 24 जनवरी 2011 के समाचार में बताया गया था की छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में नक्सलियों के कब्जे वाले इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में आनेवाले गांवों में अब तक हमारा राष्ट्रीय झंडा तिरंगा छिपकर ही फहराया जाता रहा है….. लेकिन आजादी के बाद पहली बार इस साल यहां 26 जनवरी को तिरंगा अपनी पूरी आन + बान और शान से लहराता और फहराता दिखेगा ……
और इसका कारण है की एक गांव के स्वसहायता समूह के लोगों ने जगह -२ पर तिरंगा झंडा फहराने का फैसला लिया है ….
हर साल इस राष्ट्रीय उधान क 25- 30 गांवों में नक्सलियों द्वारा गणतंत्र दिवस का विरोध काले झंडे फहरा कर किया जाता था ….यह उधान जोकि 1250 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है में नक्सलियों का इतना अधिक आंतक है की वन विभाग के सरकारी कर्मचारी पिछले दो सालो से जानवरों की गिनती भी नही कर सके है ….
लेकिन इस साल इस उधान परिसर के स्वसहायता समूह के लोगों ने जगह -२ तिरंगा झंडा फहराने का निर्णय लिया …. उद्यान में बसे कुएनार, एडमनार, सेंडरा सहित कई गांवों के स्वसहायता समूहों के लगभग 200 सदस्यों द्वारा तिरंगा झंडा फहराने का निर्णय लिया गया ….
इस इलाके के ग्राम प्रमुख बुधराम ने बताया कि नक्सली दशहत के चलते स्कूल सहित अन्य क्षेत्रों में चोरी छिपे तिंरगा झंडा फहराया जाता रहा है….. लेकिन बाद में उसे उतार कर नक्सलियों द्वारा काला झंडा टांग दिया जाता रहा है ….. उसने बताया कि इस बार विभिन्न गांवों में गठित स्वसहायता समूह तिरंगा झण्डा फहरायेंगे ……
वन विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि नक्सली दशहत के चलते उद्यान में पिछले दो वर्षों से जानवरों की गणना नहीं हो पायी है , क्योंकि यह पूरा इलाका नक्सलियों के कब्जे में है ….. उन्होने बताया कि इस इलाके में पूर्व में बाघ और वन भैंसे पाए जाते थे, लेकिन पिछले सात वर्षों से इस उद्यान में ना बाघ दिख रहे हैं ना ही वन भैंसे …….
इस बार यहां की बस्तियों में बसे नक्सलियों के इस क्षेत्र के आदिवासी अपनी जान जोखिम में डाल कर नक्सलियों के मंसूबों को कामयाब होने नहीं देंगे क्योंकि तिंरगा फहराना इस बात को दर्शाता है कि अब आदिवासी भी दशहत में जीना नहीं चाहते……
दोस्तों अब जबकि 26 जनवरी यानि की गणतंत्रता दिवस बीत चूका है ….. हमे अभी तक यह पता नही चल पाया है की उन साहसिक गाव वासियों के इस जान जोखिम में डाल कर किये गए प्रयास का क्या नतीज़ा निकला है ……
जिस प्रकार उस राष्ट्रीय उधान परिसर में नक्सलियों की समानान्तर सरकार चल रही है , ऐसा लगता है की सभी साधन युक्त नपुंसक सरकार की बजाय अब गांव वासियों ने खुद उन नक्सलियों से लोहा लेने का निर्णय लेकर हमारी सरकार के मुंह पर एक ज़ोरदार तमाचा मारा है …. इसकी जितनी भी सराहना की जाए वोह कम ही होगी ….
लेकिन देखने वाली बात यह होगी की इस नपुंसक सरकार का पंगु प्रशाशन उन जीवट वाले गाँव वासियों की क्या मदद करता है और उनकी सुरक्षा के क्या इंतजामात करता है …… लेकिन मुझको तो ऐसी कोई भी संभावना नजर नही आती है ….. यह बात भली भाँती कोई बच्चा भी समझ सकता है की जो सरकार अपने कर्मचारियों को जानवरों की गणना के लिए पिछले दो सालों से सुरक्षा नही दे सकी वोह भला उन गाँव वालों की क्या मदद कर सकेगी …..
हम सभी को हमारे देश के ऐसे नागरिकों पर गर्व होना चाहिए ….. क्योंकि यह हमारे देश के बिना वर्दी वाले सिपाही और इस आजाद देश के सेनानी है ……
जो लोग कश्मीर के लाल चौंक में तिरंगा फहराने की जिद्द कर रहे है ….. काश की वोह लोग , हमारे देश के ऐसे इलाकों में जहाँ पर की सरकार नाम की कोई चीज ही नही है , वहां पर अगर तिरंगा झंडा फहराते तो वोह :-
*सरकार के मुहं पर एक ज़ोरदार तमाचा होता …..
*देश के भीतर रह कर भीतरघात करने वाले आंतकवादी/नक्सलियों को एक सन्देश जाता ….
*उन प्रभावित इलाकों के लोगों के मन में विश्वाश की भावना बलवती होती….
लेकिन यह नेता लोग तो वहां पर जाएंगे जहाँ पर की इनका प्रशाशन के साथ -२ खुद अधिकाँश जनता ही विरोध करे ….. बजाय इसके की उन इलाकों में जाए की जहाँ की जनता पूरे मन से इनका स्वागत और सहयोग करे ….
हर देशवासी यह देख कर हैरान रह गया की पूरा महाराष्ट्र कभी जिनके एक इशारे पर चला करता था आज वोह शख्शियत अपने जन्मदिन पर आंतकी हमले के डर से अपना जन्मदिन भी अपने घर में ही मनाने पर विवश हुई है ….. काश की इनमे से कुछेक नेता लोग ही उनका साहस तथा आत्मविश्वाश बढ़ाने उनके साथ ही खड़े हो जाते ……
आज अगर हमको एक मजबूत राष्ट्र के रूप में विश्व में उभरना है + दुनिया के सामने अपनी एक निडर छवि बनानी है तो देश में एक मजबूत सरकार के साथ -२ मजबूत प्रधानमंत्री तथा ग्रहमंत्री भी अतिआवश्यक है ……
जब हमारे यह सत्तारूढ़ राजनेता यह हास्यापद बयान देते है की हरेक गली + बाजार में हर जगह पर सरकार सुरक्षा कर्मी तैनात नही कर सकती तो इन पर बेहद गुस्सा आता है …. आखिर सरकार कहते किसको है , इनको यही पता नही है …..
माना की सरकार हरेक जगह पर सुरक्षा कर्मी तैनात नही कर सकती ….. लेकिन सब जगह पर नही होते हुए भी, हो तो सकती ही है …. लेकिन हमारे देश के लचर कानून + भर्ष्ट राजनेता + वोटों की राजनीति + इच्छा शक्ति का अभाव + देश के दुश्मनों की बजाय विपक्षी पार्टियों के नेतायों की जासूसी + अस्त व्यस्त खुफियातंत्र , यह सभी कारण मिल कर कभी भी सरकार का राज़ (डर) हर जगह पर नही होने दे सकते है ……

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