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“ज्यादातर ब्लोगर्स की मानसिकता और व्यवहार” (भाग -2)

RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
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दोस्तों मेरे पिछले इसी विषय पर  लिखे गए लेख पर बहुत  नाक -भौं सिकोड़ी गई थी ….शायद इसी लिए इतने देर तक मै  इसका दुसरा भाग लिख कर पोस्ट करने की  हिम्मत जुटा नहीं पाया था ……. लेकिन अब जबकि लग रहा है की  आप सभी डाक्टर राजकमल की  कड़वी कुनैन की  गौलिआं खाने के आदी हो गए है ….. तो समझदार लौहार होने के नाते मेरा यह फ़र्ज़ बनता है की  अब जबकि लोहा पूरी तरह गर्म हो चुका है तो धड़ाक से ज़ोरदार चोट कर दी जाए …..

                 अक्सर ही यह देखने में आता  है  की  यहाँ पर  ज्यादातर ब्लोगर्स (वोह जोकि बिन बुलाये ही महिलाओं के ब्लॉग पे पहुँच जाया करते है ) बिना उनका लेख पढ़े ही उनकी हर बात पे सहमत हो जाया करते है …..जो  ज्यादातर कमेन्ट सिर्फ  महिलायों के ब्लॉग पर ही किया करते है …. उनकी  सूरत तब देखने लायक होती है जबकि उधर से यह कहा जाता है कि :-

*आप हमारी बात से कैसे सहमत हो सकते है , लगता है की आपने हमारा लेख ठीक से पढ़ा नहीं है …

*हमारे कहने का तो यह मतलब था ही नहीं , लगता है कि आपने इसको बिना समझे गलत मतलब निकाला है ….

*यह बात तो हमने अपने लेख में कही ही नहीं है , वगैरह -२

                                        मैंने खुद एक ब्लाग नारी की भावनाओं सहित  लिखा था , तों उस पर जिन महानुभावों की टिप्पणियाँ मुझको मिली वोह दुबारा मुझको मेरे ब्लाग पर मिले ही नही….. उनका सारा जोर इसी बात पर था की मैं इस राज़  का खुलासा करूं की मैं औरत हूँ या फिर मर्द ….

                       इस तरह के लोग यहाँ इस मंच पर  जिन बातो पर  सहमत हुआ करते है … अगर वही बात इनके घर में कोई महिला कह दे तो उस बेचारी की शामत  ही आ जाये …. लेकिन यहाँ की तो बात ही अलग है , यहाँ पे इनको खुद को झंडाबरदार जो साबित करना है ….

      इनकी इसी  तबियत को देख कर यार लोगो के जेहन में यही आता  है की  ऐसे ब्लोगरों के इलाके के थानों में जितने भी अनसुलझे केस है ….मैं वोह सारे के सारे इन महिला ब्लोगरों के सपुर्द कर दू …… ताकि जब यह महारथी , महाशय उनकी किसी बात पे सहमती रूपी शपथपत्र दे तो लगे हाथ उनसे उन अनसुलझे केसों पर भी सहमती ले ली जाए …

 

                                    बिलकुल उसी तर्ज़ पर  जैसे की  लोहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने एक मुस्लिम रियासत के नवाब को अपने दफ्तर के बाहर सारा दिन बिठा कर रखा ….. जब वोह इंतज़ार में गुस्से से लाल पीले हुए अपना आपा खो सकने की सी  हालत में आ गये तब उनसे मिलने के लिए अंदर भेजे जाने वाले कागज़ातों पर हस्ताक्षर करवा लिए गए …. लेकिन जब उनको शाम तक भी समय नहीं दिया गया तब वोह  कहने लगे की  “अब तो मैं अपनी रियासत को भारतवर्ष में नहीं मिलाऊँगा” …. तब उनसे कहा गया कि “कौन सी और किस की  रियासत ?….. आप जिस  रियासत की  बात कर रहे है उसको  तो आप खुद ही अपनी मर्ज़ी से भारतवर्ष में पहले से ही शामिल  कर चुके है ” ….. दरअसल  उस नवाब से मिलने वाले कागजातों के बहाने से विलय वाले कागजो पर ही  साइन ले लिए गए थे ….. गुस्से में और ज़ल्दबाज़ी में उनसे अनजाने में ही एक ऐतहासिक फैसला हो गया था ….

                    यहाँ पर  सभी महिलायों और समझदार पुरुषों की  हमेशा ही यह कोशिश रहती है की  वोह अपने लेखन में + अपने हर तरह के बर्ताव में धीर गंभीरता दर्शायें और इस समाज के ज़िम्मेदार नागरिक और इस मंच के ज़िम्मेदार ब्लोगर नज़र आये……

                                जबकि इसके विपरीत हम तथाकथित वयंग्यकारों के दिमाग में हर समय अजीब सा फितूर छाया रहता है …..हमारी अजब-गजब  सी हालत होती है बिलकुल मिडल क्लास लोगो की  तरह ….. हम तो धोबी के कुत्ते की  तरह ना इधर (घर ) के और ना ही उधर (घाट ) के होते है …. लिखने से लेकर प्रतिकिर्या देने और प्रतिकिर्याओ का जवाब देते समय भी हमको खुद को जोकर या भांड सिद्ध करना पड़ता है ….. यहाँ तक की  किसी गंभीर से गंभीर विषय को भी इस तरह से लेना पड़ता है की  दूसरों को उसमे कुछ हल्कापन नज़र आये …. फिर चाहे इस प्रयास में हम खुद क्यों ना भारी ( इमेज ) से हलके हो जाए ….

 

                            दोस्तों एक और बात है जोकि मुझको बहुत ही हैरान और परेशान किया करती है ….. यहाँ पर जरा सा अच्छा लेख देखा + पढ़ा नही की झट से कह दिया जाता है की बहुत ही ‘प्रेरणादायी रचना’ ….. अरे/अरी  भाई + बहन अगर आप में इतनी ही प्रेरणा लेने की काबलियत है तों अब तक तों आपको  इतनी ढेर सारी प्रेरणाएं लेकर देवतुल्य हो जाना चाहिए था …. मैं पूछता हूँ की आपमें क्या बदलाव आया है ? अगर नहीं तों फिर यह ढकोसले बाज़ी  क्यों ?….

                  मैं उम्मीद करता हूँ की मेरी उपरोक्त सभी बातो को आप सकारात्मक रूप में लेते हुए अपने में खुद सुधार करेंगे …. और अगर आप को लगता है की मुझमे कुछ बदलाव जरूरी है , तों किरपा करके बेझिजक होकर बताएं …. ताकि मैं खुद को सुधार करके आपके अनुकूल बन सकूं …..

                        आपका सदा की तरह ही एक शुभचिंतक और ब्लोगर साथी                   

                                       राजकमल शर्मा

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