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दोस्तों २२ दिसंबर के अखबार में एक खबर पढ़ने को मिली जिसमे बताया गया था की बंगलादेश में एक बदनसीब कम खुशनसीब व्यक्ति की उसकी चार -२ पत्नियों ने मिलकर हत्या कर दी …
यह समाचार पढ़ कर मन में खुशी भी हुई और दुःख तो होना ही था आप सभी लोगो की तरह ….. क्योंकि मैं भी तो आप जैसे ज्यादातर लोगो की तरह एक तमाशबीन ही तो हूँ …..
खुशी होने का बस इतना सा कारण है की हम हमेशा ही अपनी पत्नी मधु को हमारी शादी से पहले कहा करते थे की मेरी मौत का कारण तुम ही बनना ….और मैं चाहूँगा की मेरी मौत तेरे ही हाथों हो + मेरी मौत का कारण तू ही हो + तेरे सामने ही मेरी मौत हो + तेरे लिए ही मेरा मरना हो ताकि मरने के बाद भी मुझको आशिकों के स्वर्ग में जगह मिले , वगैरह -२ …..
कहाँ तो हम अपनी एक पत्नी कम प्रेयसी के कर कमलों द्वारा मरने की दिली तमन्ना रखते थे जोकि आजतक पूरी नही हुई है …..और कहाँ वोह खुशनसीब ऑटो रिक्शाचालक बंगलादेश निवासी (अब जन्नत वासी ) युनुस मियां जी , जिनको की अपनी चार -२ प्राणप्रिय पत्नियों के हाथों शहादत नसीब हुई है ….वाह ! क्या किस्मत पाई थी ससुरे ने , मरकर सीधा स्वर्ग ही गया होगा यकीनन …..
उस नामुराद सैन्डविच की मति मारी गई थी जो की अपनी एक के बजाय दो -२ बेगमों को मेला घुमाने की ऐतहासिक और जानलेवा भूल कर बैठा ….. ससुरे ने बालीवुड की हिन्दी फिल्मे देख -२ कर सोचा होगा की जिस प्रकार हमारे इस भारतवर्ष में लोगबाग हमेशा ही मेले में बिछड़ जाया करते है … ठीक उसी प्रकार उसकी दोनों मे से एक ना एक बीवी तो उस मेले में गुम हो ही जायेगी …. और वोह कुछ हद तक तो चैन की बंसी बजायेगा ….. लेकिन जो सोचा था हुआ बिलकुल उसके उल्ट….
लेकिन वाह री किस्मत , होनी को तो कुछ और ही मंजूर था …. गए तो थे नमाज़ बख्शवाने लेकिन रोज़े ही गले पड़ गए …. कहाँ तो मियां जी एक बीवी से छुटकारा पाने के लिए मेले में गये थे … लेकिन तकदीर का खेल देखिये की उसी मेले में उनकी दोनों पत्नियों की मुलाक़ात युनुस मियां की तीसरी बीवी से हो गई ….. जब यह तीनों देवियां आपसी बातचीत कर रही थी तभी इस अहम राज़ का खुलासा हुआ की मियां जी की शरीयत की मर्यादायों के अनुसार उन तीनों के इलावा एक अदद बीवी और भी है ….
बस इतना पता लगने भर की देर थी की तीनों बेगमे मियां जी की चौथी बेगम और अपनी सौत के दीदार करने अविलम्ब कबीरपुर पहुँच गई …मियां जी ने समय -२ पर अपनी चारों बेगमों को को जो जख्में जिगर दीए थे उनको उनकी बेगमे अलग – २ तो मजबूरी में सहती रही थी ….लेकिन जब उन तीनों सीतायो की चौथी बहन गीता उनको मिली तो उनका बल चौगुणा हो गया और उनके मन में प्रतिशोध की दबी हुई चिंगारीऑ ने भड़क कर शौलो का रूप ले लिया ……बस आव देखा ना ताव चारों ने रणचण्डी का रूप धर लिया और मियां जी रूपी राक्षस का पीट -२ कर बड़ी ही निर्दयता से संहार कर दिया और बंगलादेश की धरती को एक पापी के भार से हल्का कर दिया ….
दोस्तों हर किसी की किस्मत में ऐसी मौत कहाँ विधाता लिखता है …. हम जब मरेंगे तो हमारी सिर्फ एक बीवी मधु ही बेवा कहलाएगी …लेकिन उन युनुस मियां जी की चार -२ बेगमे इकट्ठी बेवा होने का परम सोभाग्य प्राप्त करेंगी … और सुना है की अपने मिया की मौत का श्रेय लेने का उन सभी में होड़ मची हुई है ….और बंगला देश की सरकार भी पेशोपेश में पड़ गई है और उसने मौत की असली वजह बनी बीवी का पता लगाने के लिए एक जांच कमीशन बिठा दिया है ताकि इनाम के असली हकदार को ही सन्मान से नवाजा जा सके …
और मेरी आप सभी जनता से यह गुजारिश है की आपमें से जिसका भी भाई + दोस्त + रिश्तेदार इस सीधे स्वर्ग कों प्राप्ति वाली शहादत कों पाना चाहता है , वोह उन चारों बेवाओ से या फिर उनमे से किसी भी एक से अपने निकाह की दरखास्त दे सकता है ….. अगर तो उम्मीदवार कम हुए तब तो ‘पहले आओ’ और पहले पाओ के आधार पर फेसला लिया जाएगा …. लेकिन अगर कहीं उम्मीदवार उम्मीद से ज्यादा हो गए तो फिर इनामी ड्रा द्वारा उन खातूनों कों किस्मत वाले उम्मीदवारों के हवाले कर दिया जाएगा …..
मुल्ला + मौलवी + क़ाज़ी
राजा कमाल खान (राजकमल शर्मा)
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