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दोस्तों वैसे तो इस जागरण मंच के वन मैन पुलिस थाने में मुझको आये हुए सिर्फ 6 महीने ही हुए है …..लेकिन ज्यों -२ वार्षिक रिपोर्ट भेजने का समय नजदीक आता जा रहा है ..यार लोगो के हाथ –पाँव फूलने लगे है …दिन का चैन ना जाने कहाँ खो गया है और रातो की नींद तो ना जाने किस परिंदे के साथ अक्ख मट्टका लगा कर उड़न छू हो गई है …..
हमारे रहते हुए हमारे इलाके में सबसे पहली चोरी में किसी जोनपुर वाले पाजी मुकेश ने अदिति जी और सचिन भाजी की रचनायो पर दिन दिहाड़े डाका डाला था ……उस समय एक तो हमारी नयी -२ पोस्टिंग हुई थी …और दूसरा अदिति जी खुद बहुत ही तेज – तर्रार और जाबांज महिला है …..तो चोरी का पता लगाना + चोर को ढूडना और उस की लानत मलानत रूपी सजा मुकर्रर करने जैसे सारे काम खुद अदिति जी ने खुद ही किये ….हमारी हालत तो उस समय मुद्दई सुस्त और गवाह चुस्त वाली थी …. हम तो बस अपना पुलसिया डंडा बगल में दबाए हुए उनका कदम से कदम और कंधे से कंधा मिला कर साथ भर देकर अपनी ड्यूटी बजा रहे थे ….सारा काम उन्होंने खुद किया और नाम और दाम इस नोसिखिये नए रंगरूट को मिल गया ….
उस के बाद जब काफी दिनों तक इस जागरण मंच पर कोई भी चोरी नहीं हुई तो हम बेफिक्र और निशचिंन्त हो गए … और अपने डंडे में झंडा टांग कर अपने थाने की शान को बढाते रहे ….
लेकिन हमको उस समय एक के बाद एक लगातार दो – दो जोर के झटके धीरे से लगे… जब किसी पंडित के नाम पे कलंक ने हमारे आदरणीय खुराना चाचा जी की रचना लाल किताब के सिद्ध टोटके को बड़ी ही निर्लज्जता से उड़ा कर अपनी दुकान में सजा लिया …..शायद हमारे चाचा जी अपनी रचना के चोरी ना होने देने का सिद्द टोटका ही करना भूल गए थे …आखिर बजुर्ग आदमी है इतनी भूलचूक तो हो ही जाती है ….लेकिन अब उनकी हरेक नयी आने वाली रचना का लाल किताब रूपी सिद्द टोटके का बीमा किया हुआ होता है ….
दूसरी चोरी की किसी कुलदीप कुमार ने हमारे प्रिय व्यंग्यकार श्री राजीव तनेजा जी की रचना की …दोस्तों जब एक के बाद एक लगातार चोरियां होने लग गयी तो हम तुरंत हरकत में आये …..अरे भाई ! हरकत में तो आना ही था …एक तो उपरी डंडे का और दूसरा मीडिया का डर और इन सबसे उपर अपनी ड्यूटी को अंजाम देने की फ़िक्र …. आखिर हम पगार किस चीज की लेते है भाई ! …..तो तुरन्त ही अपने पुलसिया डंडे से झंडा उतार कर उसको अपनी बगल में दबाकर उसका सही -२ इस्तेमाल किया ….
यहाँ तक तो सबकुछ ठीक ठाक था ..लेकिन असली समस्या तो अब उठ खड़ी हुई है जबकि हमको वार्षिक रिपोर्ट देनी है …..पहले पहल तो हम बहुत ही इतराते थे की हमारे डंडे में दस का बहुत ही दम है ..शायद इसीलिये इस जागरण पर जुर्म बहुत ही कम है …..लेकिन अब यही खासियत हमारे लिए जी का जंजाल बन गई है…..अजी साहब अब हम तो ठहरे निपट अनाड़ी …..हमको नहीं था पता की अगर अपनी सादी वर्दी पे कुछेक स्टार लगवाने है तो कुछेक हल किये हुए केस भी दिखाने पड़ेंगे ….
कयोंकि अब मसला नौकरी और छोकरी का नहीं बल्कि तरक्की और छोकरी का है …. अगर हमारी छाती पे स्टार लग गए तो हो सकता है की इस 35 साल के कुंवारे एंग्री यंग मैन के सितारे भी बदल जाए……तब हो सकता की कोई मीनाक्षी सी बाला मुझ शहंशाह रूपी अमिताभ से कह दे की “ दरोगा बाबू ! आई लव यू …..
क्या आप ने आजतक किसी ऐसी बाला के बारे में पड़ा या सुना है या फिर देखा है की जिसने की कभी कहा हो ….कांसटेबल बाबू ! आई लव यू …
नहीं ना …..देखेंगे सुनेगे भी कैसे …..कयोंकि उनको लड़किया आई ! लव यू नहीं कहती बल्कि बीवी रूपी औरत कांसटेबल रूपी खूंटे से चुपचाप किस्मत से समझौता करके बन्ध जाया करती है ….और वोह डायलाग तो सिर्फ दरोगाओ को ही सुनने को मिलता है …
इसीलिए हम इतने बैचेन है …..और सभी चौर ना जाने कहाँ जाकर मर खप गए है ….अगर जल्दी ही किसी चोर ने कोई चोरी ना की तो कागजो का पेट भरने के लिए शायद हमको खुद पे ही ना कोई केस बनाना पड़ जाए …कयोंकि जब हमने 19 जून के दैनिक जागरण में से श्रीमान हरेन्द्र चौधरी का लेख “ कम्प्यूटर पे हिंदी में लिखना कापी कर के हुबहू पोस्ट किया था तो यह शिकायत मिली थी की बिलकुल ऐसा ही लेख तृतीय पुरस्कार विजेता श्री अरविन्द पारीख जी { भाई ( डान ) जी कहिन वाले } पहले ही लिख चुके है मई के महीने में …..
हमारे पास अब सिर्फ 10 दिन का समय ही बचा है …तो आप सब भी मेरे साथ दुआ कीजिये की रिपोर्ट भेजने से पहले -२ कोई अच्छी खासी + भारी भरकम चोरी हो जाए …तांकि मैं खुद पे कोई केस बनाने के धर्म संकट से बच जाऊं …..और अपनी वर्दी पे स्टार लगवा के किसी बला सी हंसी कैटी बेबी जैसी बाला के श्री मुख से दरोगा बाबू आई लव यू तो सुन ही लू ……
एक पीड़ित पुलिस वाला
राजकमल बाबू
नोट :- प्रिय + आदरणीय ब्लोगर्स …पहले मैं अपने इस लेख का शीर्षक “ एक अदद चोरी का सवाल है – बाबा रखने वाला था ….लेकिन फिर सोचा की एक पुलिस वाले को इस तरह कहना शोभा नहीं देता ….
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